कोरोना इलाज में खर्च किए 2.5 लाख, मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना का लाभ नहीं मिलने महिला पहुंची हाईकोर्ट

राजस्थान के नागौर जिले की एक महिला ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

Update: 2022-02-07 18:14 GMT

राजस्थान के नागौर जिले की एक महिला ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उसने एक अस्पताल में अपना इलाज कराया था। उसके इलाज में करीब 2.5 लाख रुपए खर्च हुए थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसने मुख्यमंत्री चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन दिया, लेकिन स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के अधिकारियों सहित अन्य अफसरों ने उसे इलाज में खर्च की गई रकम का पुनर्भुगतान करने से इंकार कर दिया। याचिका पर सुनवाई के बाद होईकोर्ट ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।


विभाग ने कहा अस्पताल योजना के अंतर्गत नहीं
नागौर के सरदारपुरा कलां निवासी शमीम बानो का परिवार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र परिवार है। इसके तहत सभी पात्र परिवार मुख्यमंत्री चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्राप्त करने वाली श्रेणी में आते हैं। शमीम बानो को 15 मई 2021 को कोरोना पॉजीटिव होने के बाद जोधपुर के मेडिसिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया। सरकारी अस्पतालों में बेड खाली नहीं होने के कारण परिवार वाले उन्हें इस हॉस्टपिल में लेकर पहुंचे थे। 15 दिन बाद 29 मई को निगेटिव होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। इस दौरान इलाज में करीब 2 लाख 47 हजार रुपए खर्च हुए। शमीम ने स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी, जिला कलक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष प्रतिवेदन देकर इलाज में खर्च हुई राशि का पुनर्भुगतान करने का आग्रह किया। विभाग ने पुनर्भुगतान करने से इंकार करते हुए कहा कि उक्त चिकित्सा संस्थान योजना के अंतर्गत नहीं आता है।

सरकारी अस्पतालों में नहीं थी जगह
शमीम बानो की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर और सरवर खान ने इस आदेश को चुनौती देते हुए होईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने कहा कि जिस अस्पताल में महिला का इलाज हुआ है जिला कलेक्टर ने उसे कोरोना इलाज के लिए अधिकृत किया था। अनुमति मिलने के कारण ही अस्पताल में कोरोना रोगियों का उपचार किया गया था। सरकारी अस्पताल और मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के पैनल अस्पतालों में उस समय नो-बेड की स्थिति थी। इस कारण मजबूरी में उसे जहां बेड मिला, वहां अपना इलाज करवाना पड़ा। याचिका में मांग करते हुए कहा गया कि ऐसी विशेष परिस्थितियों में महिला को नि:शुल्क इलाज के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता।


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