रांची। झारखंड के धनबाद में शुक्रवार को बीसीसील की भौंरा स्थित एक बंद पड़ी कोयला खदान के धंसने से उसमें अवैध कोयला खनन कर रहे तीन लोगों की मौत हो गयी। घटना सुबह साढ़े दस बजे की है। मरनेवालों में एक दस साल का बच्चा भी शामिल है। ऐसी आशंका है कि खदान में अभी कई लोग दबे हो सकते हैं और मरनेवालों की संख्या बढ़ सकती है। हादसे में जो लोग मारे गये हैं उनमें से दो लोगों की पहचान हो चुकी है। इनमें 10 वर्षीय जितेंद्र यादव और 25 वर्षीय मदन प्रसाद के नाम शामिल हैं। हालांकि तीसरे व्यक्ति की पहचान अबतक नहीं हो सकी है। इससे पहले अप्रैल में ही धनबाद में ही देवियाना गांव में एक खदान धंस गयी थी और उसमें कई लोगों की मौत हो गयी थी। अवैध खदानों के धंसने और लोगों के मरने का यह अंतहीन सिलसिला कभी रूकता नहीं है। इसकी वजह ये है कि यहां लोगों के रोजगार का बड़ा साधन अवैध खनन ही है और तमाम जोखिम के बावजूद लोग अपनी जान खतरे में डालकर अवैध खनन करते हैं। धनबाद में अवैध खनन सिर्फ कोयले का ही नहीं होता है। यहां फायर क्ले, फ्लाई ऐश और ओवर बर्डन का भी अवैध खनन होता है। धनबाद में ही करीब 10 हजार से अधिक परिवार अवैध खनन से जुड़े हैं। दरअसल यहां पूरे साल खेती नहीं होती है, ऐसे में गरीबों के पास अवैध खनन से होनेवाली कमाई ही परिवार चलाने का जरिया है। रोजगार के अभाव में लोगों के पास परिवार चलाने का और दूसरा कोई जरिया नहीं है इसलिए अवैध तरीके से खनन होता है और लोग मरते हैं।
बीते दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी की एक रिपोर्ट आयी थी। इस रिपोर्ट में चौंकानेवाले खुलासे किये गये थे। इसमें बताया गया था कि 41 साल पुरानी एक बंद कोयला खदान में अब भी अवैध खनन चल रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि खदान का मुहाना अब तक बंद नहीं किया गया था। वहीं, माइंस क्लोजर प्लान का भी पालन नहीं किया गया था। अवैध खनन एक बड़ी समस्या है लेकिन केंद्र सरकार के पास जो आंकड़े जाते हैं, वो इस मामले की गंभीरता और इसके खतरे को कम कर देते हैं। सरकारी आंकड़ों वर्ष में 2021-22 में कोल इंडिया की कंपनियों में अवैध खनन से संबंधित मात्र 11 मामले दर्ज हैं, जिसमें पांच मामले सीसीएल के, वहीं तीन मामले झारखंड में खनन करने वाली कंपनियों के हैं। असल में इन आंकड़ों से केंद्र सरकार राज्य में बढ़ते खतरे को समझ नहीं पा रही।
धनबाद के जिन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा है उनमें मुख्य रूप कुहका, सांगामहल, माड़मा गांव तथा फटका-कालूबथान मार्ग पर सबसे अधिक खतरा है। इन तीनों जगहों पर पहले भी कई बार भू-धंसान हो चुके हैं। सुभाष कॉलोनी भी डेंजर जोन में है। श्यामपुर पहाड़ी भी धंसान क्षेत्र में शामिल हो गई है। कुहका और हाथबाड़ी में सड़क किनारे कई मुहाने खोल दिए गए हैं। इनमें अवैध खनन कार्य चल रहा है। कोयला माफिया, स्थानीय पुलिस-प्रशासन और लोगों की मिलीभगत से इन खदानों में से अवैध तरीके से कोयला निकाला जा रहा है। चूंकि कोयले के अवैध खनन में सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं होता इसलिए हादसे होते हैं और लोग मरते भी हैं।