बिजली संकट पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

झारखंड में बिजली संकट से लोग परेशान हैं

Update: 2022-04-27 16:38 GMT
जमशेदपुर/रांचीः झारखंड में बिजली संकट से लोग परेशान हैं. इसको लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी आंदोलित है. इस बीच झारखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर झारखंड में गहराते बिजली संकट से निदान दिलाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है. दोनों मुख्यमंत्रियों ने सरकार की कार्यशैली और बिजली विभाग में भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठाए हैं. पत्र में जेएमएम के चुनावी वादे की भी याद दिलाई है.
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. इसमें दोनों मुख्यमंत्रियों में झारखंड में गहराते बिजली संकट पर चिंता जताई है. दोनों ने पत्र में लिखा है झारखंड में प्रचंड गर्मी के बीच गहराते बिजली संकट से जनता परेशान है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और बुजुर्गों-मरीजों का हाल बुरा हो गया है. उन्होंने इस बिजली संकट के लिए सरकार की निष्क्रियता और बिजली विभाग में भ्रष्टाचार को भी जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही बिजली संकट से निदान के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने का आग्रह किया है.


 


झारखंड में बिजली संकट पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्रपूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के पत्र का मजमूनः भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखे पत्र में कहा है कि हमारे समय में भी बिजली का संकट पैदा होता था, लेकिन पहले से तैयारी और योजना के कारण हालात पर काबू पा लिया जाता था और इतनी अधिक लोड शेडिंग की अवश्यकता नहीं होती थी. उन्होंने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में झारखंड में 2300 से 2600 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. इसमें डीवीसी के अंतर्गत छह जिलों में 600 मेगावाट बिजली की जरूरत शामिल है. इसकी तुलना में झारखंड को लगभग 1200 मेगावाट बिजली मिल रही है. वर्ष 2020 के बिजली संकट से सरकार सीख लेती तो टाटा पावर, डीवीसी या अन्य कंपनियों के साथ समझौता कर बिजली संकट से निजात पा लेती.
पूर्व मुख्यमंत्री ने झारखंड में बिजली उत्पादन के प्रयास करने की भी सलाह दी है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि झारखंड देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है. यहां से कोयला दूसरे राज्यों में जाता था और हम बिजली खरीदते थे. झारखंड से कोयला नहीं बिजली दूसरे राज्यों में जाए, इसे ही ध्यान में रख कर भाजपा की डबल इंजन सरकार के समय पीटीपीएस, पतरातू और एनटीपीसी के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत 2024 तक 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाना था. पहले चरण में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू होना था, लेकिन सरकार की निष्क्रियता और उदासीनता के कारण उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है.
रघुवर दास ने पत्र में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एनटीपीसी के नार्थ कर्णपूरा प्लांट का शिलान्यास किया था. लेकिन 10 साल तक केंद्र की यूपीए सरकार ने इस पर काम रोके रखा, लेकिन 2014 में सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने इसे फिर से शुरू कराया. अब यह पावर प्लांट बनकर तैयार है, लेकिन राज्य सरकार के क्लीयरेंस में यह मामला दो साल से लंबित है. इससे भी 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता. इसके अलावा और भी समस्याएं गिनाईं हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पत्र का मजमूनः पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को को लिखी चिठ्ठी में राज्य में लचर बिजली व्यवस्था के लिए बिजली विभाग में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने पत्र में लिखा है कि इस भीषण गर्मी में जनता त्रस्त है और सरकार के अधिकारी मस्त हैं. जनता को राहत पहुंचाने की बजाय अधिकारी सिर्फ निजी आर्थिक स्वार्थ सिद्धि में दिन-रात लगे हुए हैं. बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार सुनियोजित है. उन्होंने सेवामुक्त हुए अधिकारी केके वर्मा को फिर से सेवा में रखे जाने पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने के जेएमएम के चुनावी वादे की भी याद दिलाई है.पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने कहा कि केंद्र के ऊर्जा मंत्री कहते हैं कि देश में बिजली की कमी नहीं है.
राज्य सरकार भुगतान कर जितना चाहे बिजली ले सकती है, इसके बावजूद बिजली की उपलब्धता लगातार घटने पर उन्होंने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के भ्रष्टाचार पर लगाम लगा कर केंद्र से बिजली प्राप्त कर राज्य की जनता को राहत पहुंचाने की जरूरत है.
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