लिंग के आधार पर अनुकंपा पर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता : झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश पारित किया है.

Update: 2022-08-18 02:40 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश पारित किया है. आदेश यह है कि एकमात्र कमाने वाले की अचानक मृत्यु की स्थिति में अपना निर्वहन करने के लिए विवाहिता की बेटी को अनुकंपा पर नौकरी दी जाये. झारखंड हाईकोर्ट ने न्यायधीश जस्टिस एसएन पाठक ने केस की सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला एक उदाहरण है, जहां अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदक के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव किया गया था.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में बहस करते हुए कोर्ट को यह बताया कि अनुकंपा पर नौकरी के दावे को खारिज करने वाला अक्षेपित आदेश लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त है, क्योंकि यदि मृतक कर्मचारी का बेटा अनुकंपा के आधार पर रोजगार लिए के लिए अधिकृत है, तो इस बात का कोई ठोस कारण नहीं है कि बेटी, विवाहित है या या अविवाहित, उसे अनुकंपा पर नौकरी न दी जाये.
प्रार्थी रीता गिरी के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का दावा आवेदन जमा करने के बाद से चार साल से अधिक समय के बाद खारिज कर दिया गया था. वह भी केवल उसकी विवाहित बेटी होने के आधार पर. अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए अपना आवेदन जमा करने के समय प्रार्थी अविवाहित थी और उस दौरान वह पूरी तरह से अपनी मां की आय पर निर्भर थी. झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड की ओर से अदालत में उपस्थित अधिवक्ता ने अपनी बहस में कहा कि विवाहित बेटियां मृतक कर्मचारी के आश्रित की श्रेणी में नहीं आती हैं, और इसलिए याचिकाकर्ता का दावा गलत है.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड को यह निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता रीता गिरी को मृत मां के स्थान पर नियुक्त करने पर विचार किया जाये. ताकि एकमात्र कमाने वाले की अचानक मृत्यु की स्थिति में अपना निर्वहन कर सकें.
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