शिलाई। प्रधान परिषद संघ शिलाई इकाई की आपात बैठक शिलाई में आयोजित की गई, जिसमें पिछले 10 दिनों से अपनी कुछ मांगों को लेकर कलम छोड़ो हड़ताल पर जिला परिषद कर्मचारियों व अधिकारियों की हड़ताल को जल्द खत्म करवाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन विकास खंड अधिकारी के माध्यम से भेजा गया। हड़ताल के कारण पंचायत द्वारा चलाए जाने वाले सभी विकास कार्य ठप्प हो गए हैं। सरकार की महत्त्वकांक्षी योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने में ग्राम पंचायतों को समस्या हो रही है। ग्राम पंचायतें पूर्णत: निष्क्रिय हो गई हैं। इस मुख्य कारण यह है कि इन कर्मचारियों को जिला परिषद कैडर के अंतर्गत रखा गया है। सरकार के सभी विभाग ग्राम पंचायतों से जुड़े हुए हैं। जमीनी स्तर पर सभी विभागों के कार्य पंचायत द्वारा ही क्रियान्वित किए जाते हैं। जिला परिषद के अंतर्गत पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक, कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता आदि कर्मचारी शामिल हैं। उक्त सभी कर्मचारियों को कोई भी लाभ सरकार की तरफ से नहीं दिए जा रहे हैं। छठा वेतन आयोग, पदोन्नत्ति, पुरानी पेंशन योजना व अनेकों वित्तीय लाभों से इन्हें महरूम रखा गया है। मसलन यह सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
प्रधान परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जल्द ही यह हड़ताल समाप्त की जाए, ताकि पंचायतों के कार्य प्रभावित न हों। यह सभी कर्मचारी पिछले 24-25 सालों से काम कर रहे हैं, परंतु किसी भी सरकार द्वारा सहानुभूतिूपर्वक इनके भविष्य पर विचार नहीं किया है। प्रधान परिषद संघ शिलाई वर्तमान सरकार से मांग करती है कि उक्त कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की कृपा करें, ताकि पंचायतें सुचारू रूप से काम कर सकें। क्योंकि सरकार द्वारा विकल्प के तौर पर पंचायत चौकीदार, सिलाई अध्यापिकाएं और ग्राम रोजगार सेवक को अधिकृत किया गया है, परंतु पंचायत सचिव के कार्यों का निर्वहन हेतु विभागीय प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षण न होने के कारण पंचायत के काम सुचारू रूप से नहीं हो पा रहे हैं जिसके कारण मनरेगा जैसी महत्त्वपूर्ण योजना भी बंद पड़ी है। प्रधान परिषद एक मत से प्रस्ताव पारित करता है कि लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार से सिफारिश करती है कि हड़ताली कर्मचारियों की मांगों को पूरा किया जाए। प्रधान परिषद पूर्णत: उक्त कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए लामबंद्ध हुए हैं और यह निर्णय लेते हैं कि यदि उक्त कर्मचारियों के साथ हमें भी हड़ताल पर जाना पड़े तो लोगों के हितों और इन कर्मचारियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वह भी इनका सहयोग करने में अपनी भूमिका अदा करने के लिए तैयार हैं।