स्टेज वन के आधार पर ही मिल जाएगी राजमार्गों के काम को मंजूरी, हिमाचल में एनएच निर्माण से हटी बड़ी बाधा

राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण से बड़ी बाधा हट गई है और अब निर्माण कार्य तीव्र गति से पूरे हो पाएंगे।

Update: 2022-10-01 05:48 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण से बड़ी बाधा हट गई है और अब निर्माण कार्य तीव्र गति से पूरे हो पाएंगे। अब स्टेज एक की मंजूरी के बाद केस सर्वाेच्च न्यायालय को नहीं भेजा जाएगा, बल्कि स्टेज एक को ही फाइनल अप्रूवल मानते हुए एनएचएआई निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। इस फैसले के बाद सर्वाेच्च न्यायालय में मंजूरी के लिए फंसे नेशनल हाईवे का निर्माण भी शुरू हो पाएगा। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मार्च, 2019 को एक फैसला दिया था। इस फैसले में हिमाचल में पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी थी और आदेश दिए थे कि आगे से सभी वन मंजूरी सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति के बाद ही होंगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने विभिन्न वन मंजूरी और राज्य के विकास, विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) परियोजनाओं में देरी हो रही थी। इसे देखते हुए एनएचएआई ने इसी साल फरवरी माह में एक इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन (आईए) सुप्रीम कोर्ट में दायर की।

एनएचएआई ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि राज्य के विकास के लिए और सुरक्षा चिंता से हाईवे परियोजनाओं को माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति लेने से छूट दी जानी चाहिए और स्टेज एक अप्रूवल के बाद कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 23 सितंबर को अपने निर्णय में एनएचएआई आवेदन की अनुमति दी है। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता के विस्तृत पत्र में प्रधान सचिव वन को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने और एनएचएआई को कार्य करने की अनुमति देने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में तेजी आएगी और परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश का विकास होगा। उधर, एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने कहा कि वह लगातार इस मामले को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के साथ उठा रहे थे और सर्वोच्च न्यायालय के इस बहुप्रतीक्षित गेम चेंजर निर्णय से हिमाचल प्रदेश में राजमार्ग के निर्माण में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि एनएचएआई सुरंगों का निर्माण कर रही है, जो पर्यावरण के अनुकूल है। सुरंगों के निर्माण के लिए पहाड़ी की कटाई या पेड़ों की कटाई नहीं कर रहे हैं। अब सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश से एक बड़ी राहत समूचे प्रदेश को मिलने वाली है। 
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