करसोग: करसोग के पुराना बाजार में सोमवार को ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित ‘हिमाचल की आवाज’ के ऑडिशन में 57 प्रतिभागियों ने भाग लिया। ऑडिशन में प्रतिभागियों ने अपने हुनर का ‘हिमाचल की आवाज’ के ऑडिशन के दौरान एक बात अवश्य स्पष्ट कही जा सकती है कि पिछले कई दिनों से विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में गायन क्षेत्र से जुड़ी हुई प्रतिभाएं लगातार अभ्यास में जुटी हुई थीं। इस दौरान कई प्रतिभागियों ने अपनी बेमिसाल प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए निर्णायक मंडल के दोनों जजों रतनलाल तथा ऋषभ भारद्वाज और मुख्यातिथि स्वर कोकिला काली चौहान की ओर से भी खूब प्रशंसा प्राप्त की और ‘हिमाचल की आवाज’ ऑडिशन में आगामी मुकाबलों के लिए जाने के को लेकर उनका रास्ता साफ होता हुआ बताया।
यहां बता दें कि ‘हिमाचल की आवाज’ के ऑडिशन करसोग में आयोजित करने के लिए पांगणा से ललित ठाकुर तथा संगीत गुरु ऋषभ भारद्वाज रतनलाल वॉशर कोकिला कली चौहान काफी प्रयास रहा, जिन्होंने ‘हिमाचल की आवाज’ऑडिशन शुरू होने के दौरान ही यह बात रखी कि करसोग दूरदराज का क्षेत्र है और ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभा यदि ऑडिशन देने के लिए कहीं बाहर जाती है तो उसमें दो से पांच हजार खर्च आएगा। यदि करसोग में ही यह ऑडिशन रख दिया जाता है तो ग्रामीण प्रतिभा को घर द्वार पर अपनी आवाज का हुनर दिखाने को मौका मिलेगा। यह काम प्रदेश में ‘दिव्य हिमाचल’ ही कर सकता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप द्वारा पहली बार करसोग में ‘हिमाचल की आवाज’ के ऑडिशन को रखा गया है, जिसमें प्रतिभागियों का उत्साह देखते ही बनता था। (एचडीएम)
बिना वाद्य यंत्रों के प्रतिभागियों ने जीत लिया दिल
‘हिमाचल की आवाज’ के ऑडिशन में आए 57 प्रतिभागियों में से आधे से ज्यादा ने बेमिसाल सुरों का प्रदर्शन किया। पहाड़ी नाटी के ऊपर अपनी जोरदार पकड़ होने का परिचय दिया। उन्होंने बिना वाद्य यंत्रों से अपनी सुरीली आवाज का इस प्रकार प्रदर्शन किया कि आयोजन हॉल में कई दफा तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका स्वागत किया गया। कई बाल कलाकारों ने अपनी प्रतिभा दिखाकर सबको हैरान किया तो सीनियर वर्ग में भी कई प्रतिभावान कलाकारों ने आवाज का जादू चलाते हुए साबित कर दिया कि ऑडिशन उनका पहला पायदान है और वह सेमीफाइनल और फाइनल के मंच पर भी अपनी आवाज का कमाल दिखाने वाले हैं। संगीत गुरु रतन लाल तथा प्रोफेसर म्यूजिक ऋषभ भारद्वाज और मुख्यातिथि स्वर कोकिला काली चौहान ने सभी प्रतिभाओं को सफलता का गुरु मंत्र देते हुए कहा कि गायन के क्षेत्र में सफल होना है तो रियाज की कमी नहीं होनी चाहिए। संगीत गुरु का सानिध्य प्रतिभा के सुरों को धार दे सकता है, जिसके चलते सभी प्रतिभागी संगीत की बारीकियों को जाने और शिक्षा दीक्षा जरूर प्राप्त करें, ताकि वह गायन के क्षेत्र में अपने इस ग्रामीण क्षेत्र का नाम ऊंचा कर सकें।