शिमला, 17 अक्तूबर : NGT ने शिमला डेवलपमेंट प्लान को अवैध करार दिया है। ट्रिब्यूनल ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोर, हरित क्षेत्रों में भवनों की मंजिलों की संख्या और निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि अवैध डेवलपमेंट प्लान को लागू नहीं किया जा सकता।
ट्रिब्यूनल की चार सदस्यीय पीठ ने योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया है। पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जब ट्रिब्यूनल ने एक बार इस मामले में फैसला सुना दिया है तो उस स्थिति में मामले को दोबारा से जांचने और परखने की जरूरत नहीं है। इस मामले में ट्रिब्यूनल की राय अंतिम है। जब तक कि इसमें कोर्ट की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है।
हिमाचल शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला शहर और प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण के नियमों में राहत देने के लिए सरकार ने सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार किया था। सरकार ने विशेषज्ञों की सिफारिशों पर यह प्लान 8 फरवरी 2022 को बनाया है। 11 फरवरी 2022 को इस बारे में आम जनता से आपत्ति और सुझाव भी मांगे गए। निर्धारित 30 दिन के भीतर 97 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए। सभी पर टीसीपी विभाग के निदेशक ने सुनवाई की।
16 अप्रैल 2022 को राज्य सरकार ने वर्ष 2041 तक कुल 22,450 हेक्टेयर भूमि के लिए इस प्लान को अंतिम रूप दिया। 12 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार के प्लान को स्थगित करने के बाद अब अवैध करार दिया है। उन्हें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का फैसला स्वीकार नही है, वह इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। GT के स्थगन आदेश के खिलाफ भी सरकार उच्च न्यायालय में गई है। शिमला में मंजिलो को कम करना पर्यावरण को कहाँ खराब कर रहा है।