हमीरपुर में मेडिकल कालेज की जद में आए बन्न स्कूल की दास्तां, कक्षाएं और हाजिरी रंगस में, हिसाब-किताब जोलसप्पड़ में

इतिहास गवाह रहा है कि बड़े-बड़े विकास और बड़े प्रोजेक्टों के निर्माणों के चक्कर में पहले से स्थापित छोटे संस्थानों के अस्तित्व पर संकट पैदा हुआ है।

Update: 2022-10-06 02:53 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इतिहास गवाह रहा है कि बड़े-बड़े विकास और बड़े प्रोजेक्टों के निर्माणों के चक्कर में पहले से स्थापित छोटे संस्थानों के अस्तित्व पर संकट पैदा हुआ है। लेकिन यदि विद्या के मंदिरों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए, तो ऐसे विकास को क्या कहेंगे। यहां हम बात करेंगे जिला हमीरपुर के एक ऐसे स्कूल की जो बड़े प्रोजेक्ट की जद में आ गया और उसका सारा सिस्टम दर-बदर हो गया। हालांकि उस स्कूल का नया भवन बनाने की बातें भी हुईं, लेकिन फाइलों की औपचारिकताओं के चलते अभी तक स्कूल के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगी। कहते हैं कि वर्षों पहले जब यह प्राइमरी स्कूल शुरू किया गया था तो इसका भवन न होने के कारण एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने घर में प्राइमरी की कक्षाएं चलवाईं थीं। नादौन विधानसभा क्षेत्र के जोलसप्पड़ इलाके का यह स्कूल है राजकीय माध्यमिक विद्यालय बन्न। आठवीं तक कक्षा वाले इस स्कूल में दो दर्जन छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते थे। स्कूल में शिक्षकों सहित करीब छह से अधिक लोगों का स्टाफ बताया जाता है।

बताते हैं कि जब जोलसप्पड़ में मेडिकल कालेज का काम लगा तो बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहा यह स्कूल प्रोजेक्ट की जद में आया गया। उस वक्त बच्चों को यहां से तीन किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रंगस में शिफ्ट करना पड़ा। हालांकि वहां से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर जोलसप्पड़ स्कूल भी था, लेकिन वो मुख्य मार्ग से काफी अंदर जाकर था इसलिए रंगस में कक्षाएं शुरू करवाईं गईं। उस वक्त यह सहमति बनी कि मेडिकल कालेज के साथ ही बन्न स्कूल के लिए जगह चिन्हित होगी और एक नया भवन बनाया जाएगा, ताकि दोबारा स्कूल में कक्षाएं शुरू की जा सकें। कोरोना के बाद बन्न स्कूल की कक्षाएं रंगस में लगनी शुरू हुईं। बच्चों और शिक्षकों की हाजिरी भी रंगस में लगाई जाने लगी, लेकिन स्कूल का सारा लेखा-जोखा सीनियर सेकेंडरी स्कूल जोलसप्पड़ स्कूल में ही रखा गया।
जमीन को क्लीयरेंस नहीं
जानकारों की मानें तो सरकार ने मेडिकल कालेज के नीचे जो जमीन बन्न स्कूल के भवन के लिए दे रखी है, वो एफसीए क्लीसरेंस न मिलने के कारण स्कूल के नाम नहीं हो पा रही क्योंकि उसका कुछ हिस्सा फोरेस्ट लैंड में बताया जाता है। बताते हैं कि एनएचएआई को इस स्कूल के निर्माण का जिम्मा दिया गया है। हालांकि शिक्षा विभाग भी चाहता था कि एनएचएआई ही इस स्कूल के भवन को बनाए लेकिन अथॉरिटी ने 36 लाख के लगभग राशि इस स्कूल के निर्माण के लिए देने की बात कही है। स्कूल क्योंकि ग्रामीण इलाके का है इसलिए फाइलें आगे नहीं सरक पा रहीं।
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