लगातार हो रहे निर्माण कार्यों से जमीन खिसकने का खतरा, नयनादेवी में पहाड़ों की खुदाई से डरे लोग
नयनादेवी
उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-स्खलन के चलते अब नयनादेवी को भी 1978 के दिन याद आने लगे हैं, क्योंकि उस समय नयनादेवी क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा भू-स्खलन की चपेट में आ गया था तथा काफी लोग घर से बेघर हो गए थे। उसी तर्ज पर अब नयना देवी में चल रहे कार्य तथा पानी का सही निकास न होना नयनादेवी के लोगों को चिंता का कारण बन रही है। यहां बता दें कि 1978 में नयना देवी का बहुत सा हिस्सा तो बच गया था तथा अगर इसी तरह से लगातार कंस्ट्रक्शन चलती रहेगी तथा धड़ल्ले से पहाड़ी को कुरेदा जाता रहेगा, तो लगता है कि कहीं जोशीमठ जैसे हालात नयनादेवी में भी न बन जाए। आज भी नयनादेवी के लोग 1978 के मंजर को नहीं भूले हैं।
यहां देखने वाली बात यह है कि हिमाचल भू -विभाग की टीम ने नयनादेवी में दौरा भी किया था तथा उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट नगर परिषद में भेजी थी, जिसमें बस स्टैंड से नयनादेवी के एसबीआई के पुराने भवन तक डेंजर जोन घोषित किया था, उसके बावजूद भी न तो सरकारी अधिकारियों ने इसे सबक लिया तथा न ही स्थानीय लोगों ने। यहां आज भी धड़ल्ले से मकान बनाते जा रहे हैं तथा आज स्थिति यह है कि लगभग 400 से 500 आवासीय भवन बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि न तो सरकार ने 1978 के बाद नयनादेवी में भू-स्खलन की स्थिति जांची
तथा न ही इसकी जरूरत को समझा। आज भी नयनादेवी के लगभग 1000 लोग पहाड़ी पर बसे हुए हैं तथा अब जोशीमठ जैसे हालात को याद कर रहे हैं कि कहीं ऐसी स्थिति नयनादेवी की इस पहाड़ी में न बन जाए। (एचडीएम)
अनदेखी पड़ेगी भारी
1100 बीघा क्षेत्रफल पर बसा नयनादेवी का नगर आज जोशीमठ जैसे हालात पैदा कर रहा है। होटल, मकान तथा सडक़ें धड़ाधड़ बन रही हैं, यहां तक धीरे-धीरे मंदिर न्यास तथा सरकार भी जमीन को खोखला करती जा रही है जोशीमठ जैसे हालात यहां न हो इसके लिए सभी नई कंस्ट्रक्शन को बंद करना होगा पानी का सही निकास हो इसके लिए मास्टर पालन बने तथा नयना देवी की पहाड़ी सुरक्षित रहे इसके लिए भू-स्खलन की टीम नयनादेवी में निरीक्षण कर आगामी रिपोर्ट जिला उपायुक्त तथा सरकार को दें।