कुल्लू। सरकार और प्रशासन की अनदेखी के कारण पिछले 52 दिनों से छात्र अपना भविष्य संवारने के लिए मीलों का सफर पैदल करने को मजबूर है। मणिकर्ण घाटी के बरशैणी क्षेत्र के करीब चार गांवों के बच्चे आपदा के बाद सडक़, बस की सुविधा न मिलने से ज्यादा परेशानी का सामना कर रहे हैं। उन्हें पढऩे के लिए हर रोज मजबूरन 10 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ रहा है। क्योंकि आपदा के तीन महीनों बाद भी बरशैणी सडक़ की हालात को सुधारा नहीं गया, जिससे अधिकतर लोग पैदल चलने को मजबूर हैं। जानकारी यह भी है कि मणिकर्ण से उच्चधार तक हालांकि छोटे वाहन चल रहे हैं। वहीं, यहां पर छोटी बस भी चल सकती है, लेकिन बसों को नहीं चलाया जा रहा है। बताया कि जा रहा है यहां तक मात्र दो जगह मार्ग थोड़ा संकरा है। लेकिन विडंबना है कि बच्चों के दर्द को नजर अंदाज कर दिया जा रहा है।
अभिभावकों ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द बच्चों की समस्या को समझते हुए यहां उच्चधार तक छोटी बस सुविधा मुहैया करवाई जाए। जानकारी के अनुसार बलारगा के बच्चों को पहले पार्वती नदी के ऊपर बने झूले से होकर जान-जोखिम में डालकर आर-पार होना पड़ता है। इसके बाद मणिकर्ण स्कूल तक पैदल सफर करना पड़ता है। जानकारी के अनुसार उच्चधार और मणिकर्ण के बीच दो जगह टाहुक और घर्टीगाड़ में सडक़ खराब है। हालांकि छोटे वाहनों को चलने योग्य सडक़ टेंपरेरी तैयार की गई है। ऐसे में यहां पर सडक़ को खुला कर बसों को चलाने की मांग की गई है। हालांकि उच्चधार से बरशैणी तक तो मार्ग काफी खराब है। यहां पर बसें चलने को समय लगेगा। लिहाजा, उच्चधार तक बसों को चलाने की मांग की है। शिल्हा, उच्चधार से आने वाले बच्चों में साहिल, चेतन, गुलशन और अमन का कहना है कि वे जमा एक और जमा दो कक्षा में मणिकर्ण स्कूल में पढ़ते हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें ने 10 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उच्चधार तक छोटी बस चल सकती है, लेकिन बसें नहीं चलाई जा रही है। जहां-जहां मार्ग संकरा है, उसे भी खुला नहीं किया जा रहा है।