डा. रितेश आर्य को मिले पांच करोड़ साल पुराने जीवाश्म

Update: 2023-10-10 11:27 GMT
सोलन। गिनीज बुक रिकार्ड होल्डर व कसौली के जाने-माने जिओलॉजिस्ट डा. रितेश आर्य ने पूर्वी लद्दाख में एक बार फिर जीवाश्म खोजे है। इस मर्तबा उन्हें इचिनोडर्स (समुद्री जीव) के जीवाश्म मिले है, जिसमें मुख्यत: समुद्री अर्चिन शामिल है। उन्होंने दावा किया है कि यह जीवाश्म करीब चार से पांच करोड़ वर्ष पुराने है। करीब 17 हजार फुट की ऊंचाई पर मिले इन जीवाश्मों के मिलने से यह भी संकेत मिले है कि पूर्वी लद्दाख का यह भाग भी ऐतिहासिक टेथिस समुद्र था या समुद्र के बेहद करीब था। डा. रितेश द्वारा की गई इस खोज को बेहद ही महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है और इससे अन्य जिओलॉजिस्ट के चेहरे भी खिल गए है। वहीं, करोड़ों वर्ष पुराने इन जीवाश्मों के खजाने से कई अन्य अहम खुलासे होने की उम्मीद भी जगी है।
गौर रहे कि जिओलॉजिस्ट डा. रितेश आर्य वर्षों से लद्दाख में पानी की खोज पर सक्रियता से कार्य कर रहे है और वहां पर भू-जल खोजने के लिए ही उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज है। डा. आर्य के शोध से पता चलता है कि ये विशाल बर्फीली पर्वत श्रृंखलाएं कभी टेथिस महासागर के प्राचीन जल के नीचे डूबी हुई थीं। करीब 17 हजार फुट पर समुद्री अर्चिन की खोज क्षेत्र के भू-वैज्ञानिक इतिहास के बारे में समझ को बढ़ाती है।गिनीज बुक रिकार्ड होल्डर व भू-वैज्ञानिक डा. रितेश आर्य ने बताया कि इन जीवाश्मों के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह अतीत में झांकने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिससे हमें क्षेत्र के पुरापाषाण पर्यावरण का पुनर्निर्माण करने और हमारे ग्रह को आकार देने वाली भू-वैज्ञानिक शक्तियों और अंत: क्रियाओं के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में सहयोग मिलेगा।
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