सीटी स्कैन को भी अक्तूबर में मिल रही तारीख, एमआरआई करवाने को IGMC दे रहा लंबी डेट, मरीज परेशान
शिमला
प्रदेश सरकार की लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवायें देने के दावों की पोल राज्य का सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी खोल रहा है। यहां पर आने वाले मरीजों को आगामी वर्ष की तारीखें एमआरआई की मिल रही हैं। यानि अब मरीजों की बीमारी का पता आगामी वर्ष लग सकेगा और उसके बाद ही उसका उपचार आरंभ होगा। अगस्त माह में आईजीएमसी में उपचार करवाने आए लोगों को एमआरआई के लिए दिसंबर माह की तारीखें मिली है, जबकि अब आने वाले मरीजों को आगामी वर्ष की डेट्स मिलेगी। आईजीएमसी में प्रतिदिन 18 से 20 एमआरआई हो रहे हैं, जिसमें से भी एमर्जेंसी वालों को वरीयता देना लाजिमी होता है। एक एमआरआई करवाने के लिए आधे से पौना घंटा लग जाता है, लेकिन आईजीएमसी में प्रतिदिन औसतन 3200 से 3500 ओपीडी होने पर 40 से 50 लोगों को एमआरआई करवाने के लिए चिकित्सकों द्वारा परामर्श दिया जाता है।
ऐसे में मरीजों को या तो पीजीआई जाने को बाध्य होना पड़ रहा है या फिर भारी-भरकम पैसे अदा करके निजी अस्पतालों में एमआरआई करवाने को लाचार होना पड़ रहा है। शुक्रवार को ठियोग के माहौरी के पास रहने वाले दंपत्ति को सीटी स्कैन की डेट सात नवंबर की मिली है। नेपाली गोविंद अपनी पत्नी निर्मला को लेकर आईजीएमसी आया था, जहां पर चिकित्सकों ने उसकी पत्नी निर्मला को सीटी स्कैन करवाने के लिए परामर्श दिया। इस पर वह सीटी स्कैन की तारीख लेने के लिए काउंटर पर पहुंचा, तो उसे सात नवंबर की डेट मिली है। गोविंद का कहना है कि उसे अब अपनी पत्नी की बीमारी का पता लगाने के लिए नवंबर माह तक इंतजार करना होगा, लेकिन उसकी पत्नी है कि दर्द जाने का नाम नहीं ले रहा है, लेकिन मरता क्या न करता, अब उसे नवंबर तक इंतजार करना होगा। (एचडीएम)
सीटी स्कैन को भी अक्तूबर में मिल रही तारीख
आईजीएमसी में सीटी स्कैन करवाने के लिए भी अक्तूबर तक की तारीखें पूरी हो गई है और अब यहां मरीजों को नवंबर माह की डेट्स मिलेगी। अस्पताल में प्रतिदिन 50 से 60 लोगों को सीटी स्कैन करवाने के लिए चिकित्सकों द्वारा निर्देश दिए जाते है, लेकिन अस्पताल में बामुश्किल ही 35 से 40 सिटी स्कैन हो पाते हैं, जिसमें से भी आपातकालीन सेवाओं वालों को प्राथमिकता देनी होती है।
एक-एक मशीन होना सबसे बड़ा कारण
प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में जहां ओपीडी प्रतिदिन औसतन करीब 3500 ओपीडी हो रही है, वहां पर एमआरआई और सीटी स्कैन के लिए मात्र 1-1 ही मशीनें हैं। राज्य सरकार का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है और न ही आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन इस बारे में गंभीर नजर आ रहा है।