भाजपा के सामने बड़ा सवाल, राजन सुशांत के सामने चाहिए मजबूत उम्मीदवार, डाक्टर सतीश शर्मा पर निगाहें

धानसभा क्षेत्र में डाक्टर राजन सुशांत के आप में जाने के बाद एक बार फिर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारने को लेकर अपनी रणनीति बदलने पर विचार करना पड़ सकता है।

Update: 2022-09-18 03:58 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : .divyahimachal.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धानसभा क्षेत्र में डाक्टर राजन सुशांत के आप में जाने के बाद एक बार फिर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारने को लेकर अपनी रणनीति बदलने पर विचार करना पड़ सकता है। पिछली बार फतेहपुर विधानसभा उपचुनाव में आजाद उम्मीदवार के रूप में पूर्व मंत्री व सांसद डाक्टर राजन सुशांत ने ब्राह्मण कार्ड को भुनाकर 14 हजार से ज्यादा वोट लेकर मुकाबले को तिकोना बनाकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को पराजय के मुंह में धकेल दिया था। अब जबकि एक साल के भीतर ही फिर फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जंग शुरू होने वाली है और जिस तरह डा. राजन सुशांत ने आप पार्टी का सेहरा बांध कर फतेहपुर विधानसभा चुनाव में दूल्हा बनकर चुनावी जंग का ऐलान कर दिया है, उसको देखकर भारतीय जनता पार्टी को भी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। भारतीय जनता पार्टी अगर ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में यहां पर उतारती है तो उसका सीधा डा. राजन सुशांत को नुकसान होगा। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के पास ब्राह्मण समुदाय से एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में डाक्टर सतीश शर्मा मौजूद हैं। डाक्टर सतीश शर्मा एक आयुर्वेदिक डाक्टर के रूप में अपने घर में ही एक हॉस्पिटल चलाते हैं और बढिय़ा है।

उनके दोनों बेटे और बहू डाक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डा. सतीश शर्मा जनसंघ के समय से ही भारतीय जनता पार्टी में जुड़े हैं। इससे पहले वह पार्टी के मंडल अध्यक्ष जैसे अनेक पदों से होते हुए वर्तमान में वह संगठनात्मक जिला नूरपुर के पार्टी के महासचिव भी हैं। शर्मा जहां मृदुभाषी हैं वहीं वह सामाजिक रूप से भी हर सुख दुख में लोगों की नि:स्वार्थ व नि:शुल्क रूप से सेवाभाव के साथ हमेशा दिखाई देते हैं। वर्ष 2012 में पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेता शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने उनको विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए जरूर दबाव बनाया था लेकिन उन्होंने यह कहकर चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया था कि किसी और कार्यकर्ता को चुनाव मैदान में उतारा जाए। सूत्रों के अनुसार उनकी यह भी विशेषता है कि फतेहपुर में जो गुटों में बंटी भाजपा, चाहे वह कृपाल परमार गुट हो, चाहे बलदेव ठाकुर, ओम प्रकाश चौधरी या जगदेव ठाकुर इन सभी कार्यकर्ताओं के साथ उनका अच्छा तालमेल व मधुर संबंध हैं। अगर डाक्टर सतीश शर्मा को पार्टी चुनाव मैदान में उतारती है तो जहां राजन सुशांत वोट पर सेंध लगाने में भाजपा कामयाब रहेगी वहीं दूसरी ओर गुटों में बंटी भाजपा एक दिशा में एकजुटता के साथ डाक्टर सतीश शर्मा के साथ चलने पर मजबूर हो जाएगी। फतेहपुर जनता के आकलन को हम माने तो जितने भी फतेहपुर भारतीय जनता पार्टी से इस प्रकार के प्रमुख नेता हैं इनके चुनाव के अवसर पर डा. सतीश शर्मा आर्थिक तौर पर भी डटकर सहयोग करते रहे हैं।

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