हिमाचल प्रदेश में मत्स्य आखेट से प्रतिबंध हटने के बाद जलाश्यों में उतरे मछुआरे, पहले दिन पकड़ी 26.733 मीट्रिक टन मछली

हिमाचल प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य आखेट से प्रतिबंध हटने के बाद मछुआरों के चेहरे खिल उठे हैं।

Update: 2022-08-18 03:40 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश के जलाश्यों में मत्स्य आखेट से प्रतिबंध हटने के बाद मछुआरों के चेहरे खिल उठे हैं। मत्स्य आखेट के पहले दिन राज्य के जलाश्यों में 26.733 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन दर्ज किया गया है। पिछले वर्ष 70 एमएम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाश्यों में संग्रहित किया गया था। गोबिंदसागर जलाश्य से 8600 किलोग्राम, कोलडैम में 67 किलोग्राम, पौंग जलाश्य में 13430 किलोग्राम तथा चमेरा व रणजीत सागर से 4636 किलोग्राम मछली पकड़ी गई। निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य सतपाल मैहता ने बताया कि हिमाचल के जलाश्यों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकडक़र अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हुए हैं तथा वर्तमान में 43785 हेक्टेयर के करीब क्षेत्रफल वाले प्रदेश के पांच जलाश्यों क्रमश: गोबिंदसागर, पौंग डैम, चमेरा डैम, कोल डैम व रणजीत सागर डैम में 5300 से अधिक मछुआरे मछली पकडऩे का कार्य कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के 2400 किलोमीटर वाले सामान्य जलों में 6000 से अधिक मछुआरे जाल के साथ मछली पकडऩे के कार्य में लगे हैं।

इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे तथा लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे, इसका दायित्व मत्स्य पालन विभाग का है। उन्होंने बताया कि मात्स्यिकी विभाग प्रतिवर्ष जलायों में दो माह के लिए मछली पकडऩे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं जिससे इन जलों मे स्वत: मछली बीज संग्रहण हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य धन संरक्षण के लिए विशेष कर्मचारी बल तैनात कर कैम्प लगाये जाते हैं जिससे ये कर्मचारी जल एवं सडक़ व दोनों मार्गों से गश्त कर मत्स्य धन की सुरक्षा करते हैं।
186 मामलों में 1.45 लाख जुर्माना
मत्स्य आखेट 16 जून से 15 अगस्त तक बंद सीजन का कार्यान्वयन किया गया है तथा इस अवधि के दौरान अवैध मत्स्य आखेट के कुल 186 मामले पकड़े गए। इनसे विभाग ने मुआवजे के रूप में 1.45 लाख रुपए प्राप्त किए।
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