चंडीगढ़ न्यूज़: रक्षा साजो सामान के देश में ही निर्माण को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कमर कस ली है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा प्रतीत होता है कि उद्योग जगत की तरफ से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. कई रक्षा तकनीकों के निर्माण को लेकर जारी होने वाले प्रस्तावों की अंतिम तिथि को बार-बार विस्तारित करना पड़ रहा है. इनमें एयर डिफेंस गन, फास्ट पेट्रोल वेसल, नाइट साइट इमेज इंटेंसीफायर जैसे उपकरण प्रमुख रूप से शामिल हैं. इसके मद्देनजर सरकार उद्योग जगत को डीआरडीओ की तकनीकें देने पर भी विचार कर रही है.
प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में 220 एयर डिफेंस गन तथा 1,41,576 राउंड गोलियों की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव मांगे थे. यह प्रस्ताव मेक इंडियन श्रेणी में मांगे गए थे. मगर इस प्रस्ताव को कई बार विस्तारित किया गया है. अब भी किसी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पाई है.
सरकार ने रक्षा व्यय के आधुनिकीकरण के 65 फीसदी बजट को भारत में निर्मित रक्षा उपकरणों के लिए चिह्नित किया है. हालांकि निजी क्षेत्र में अब टैंक, गोला-बारूद समेत अनेक रक्षा उपकरण तैयार हो रहे हैं. फिर भी कई मामलों में चुनौती पैदा हो रही है. सूत्रों ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए उद्योग जगत को डीआरडीओ की तकनीक निशुल्क देनेे, सार्वजनिक उपक्रमों के साथ मिलकर कार्य करने जैसे विकल्प दिए जा रहे हैं. इसमें उद्योग जगत प्रोटोटाइप विकसित कर परीक्षण के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशाला की मदद ले सकते हैं.
डिजिटल कोस्ट गार्ड का प्रस्ताव भी लटका: सूत्रों के अनुसार, इसी प्रकार रक्षा उपकरण और साजो सामान निर्माण के कई अन्य प्रस्तावों को भी बार-बार विस्तारित किया जा रहा है. देश रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई सूत्रों का कहना है कि 113 इलेक्ट्रिक बसों और फास्ट चार्जर की खरीद, डिजिटल कोस्ट गार्ड योजना के लिए प्रस्ताव, लाइट मशीनगन के लिए नाइट साइट डिवाइस के प्रस्ताव को भी विस्तारित किया गया है.
प्रस्तावों को बार-बार विस्तारित किया: तटरक्षक बल के लिए 14 फास्ट पेट्रोल वेसल (एफपीवी) की खरीद के लिए प्रस्ताव को भी कई बार विस्तारित कर 11 मई की अवधि तय की गई है. असाल्ट राइफलों के लिए 29,762 नाइट साइट इमेज इंटेंसीफायर की खरीद की अवधि भी जुलाई, 2022 के बाद कई बार विस्तारित की गई है. अब 11 मई की नई तारीख रखी गई है. इसे असाल्ट राइफल पर फिट कर रात में निशाना लगाने में आसानी होती है.