राज्य सरकार और HSSC को नोटिस, 1178 क्लर्कों को हटाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
चंडीगढ़ : हरियाणा में 1178 क्लर्कों को हटाने के सरकार के आदेश पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High court) ने आज हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (Haryana Staff Selection Commission) द्वारा क्लर्क भर्ती का परिणाम संशोधित करने के बाद कार्यरत क्लर्क को हटाने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि पहले सरकार नियमों की पालना करें, उनका पक्ष सुनें और फिर उसके बाद ही कोई उचित (HC stays HSSC order to remove 1178 clerks) निर्णय लें.
1178 क्लर्कों को हटाने का आदेश- दरअसल हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने साल 2019 में जारी हुए विज्ञापन के तहत क्लर्क के 4798 पदों की भर्ती का संशोधित रिजल्ट जारी किया था. जिसमें बाद में 1178 क्लर्कों को हटाने के सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गई थी. बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और HSSC को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई तक क्लर्कों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है.हटाने के तरीके पर सवाल- मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इन सभी को डेढ़ साल नौकरी के बाद हटाया जा रहा है. इस मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि वो राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं. पिछले दिनों कर्मचारी चयन आयोग ने संशोधित परिणाम जारी कर उनको हटाने के नोटिस जारी कर दिए. मामले में दलील दी गई की इन्हें हटाने के लिए सही तरीका नहीं अपनाया जा रहा. सरकार की तरफ से शो कॉज नोटिस जारी कर उनका पक्ष भी नहीं सुना जा रहा है. सर्विस नियमों के तहत उनको पक्ष रखने का अधिकार है, लेकिन कई क्लर्कों को तो एक दिन का नोटिस जारी कर ही सेवा मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया.
28 जुलाई को अगली सुनवाई- सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाकर, नियमों के तहत प्रभावित कर्मचारी का पक्ष सुनकर आदेश पारित करने का आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. बता दें कि हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल को कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 4858 क्लर्क की भर्ती का परिणाम खारिज कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने परिणाम में संशोधन कर नए सिरे से मेरिट तैयार करने का आदेश दिया था. संशोधित रिजल्ट जारी करने के बाद सरकार ने 1178 क्लर्कों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया था. इसी के खिलाफ कोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी.