हरियाणा के पंचायत चुनावों को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार ने कही ये बड़ी बात

हरियाणा के पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्राविधान के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर याची पक्ष की तरफ से जवाब दायर नहीं किया गया।

Update: 2022-02-09 04:19 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाणा के पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्राविधान के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर याची पक्ष की तरफ से जवाब दायर नहीं किया गया। कोर्ट ने याची पक्ष को कहा कि पहले वह इस मामले में अपना जवाब दायर करे, तब मामले की आगे सुनवाई होगी। कोर्ट ने याची को पक्ष रखने का समय देते हुए मामले की सुनवाई अगले सप्ताह तक स्थगित कर दी।

इस मामले में हरियाणा सरकार ने एक अर्जी दायर कर कहा है कि वह चुनाव कराने को तैयार है, लिहाजा हाई कोर्ट इसके लिए इजाजत दे। हाई कोर्ट ने सरकार की इस अर्जी पर याचिकाकर्ताओं को अपना रखने का आदेश दिया था, लेकिन आज तक याची पक्ष की तरफ से जवाब दायर नहीं किया गया।
हरियाणा सरकार ने दायर अर्जी में कहा है कि पिछले साल 23 फरवरी को ही पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। पंचायती राज एक्ट के दूसरे संशोधन के कुछ प्रविधान को हाई कोर्ट में 13 याचिकाएं दायर कर चुनौती दी हुई है। पहले कोरोना के कहर के चलते सरकार ने यह चुनाव नहीं करवाने का हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था। अब हालात बेहतर हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी सरकार ने चुनाव को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की है।
याचिकाकर्ता ने राज्य के पंचायत विभाग द्वारा 15 अप्रैल को अधिसूचित हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2020 को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद किए जाने की हाई कोर्ट से मांग की हुई है। हाई कोर्ट को बताया जा चुका है कि इस संशोधन के तहत की गई नोटिफिकेशन के तहत पंचायती राज में आठ प्रतिशत सीटें बीसी-ए वर्ग के लिए आरक्षित की गई है और यह तय किया गया है कि न्यूनतम सीटें दो से कम नहीं होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता के अनुसार यह दोनों ही एक-दूसरे के विपरीत हैं, क्योंकि हरियाणा में आठ प्रतिशत के अनुसार सिर्फ छह जिले हैं, जहां दो सीटें आरक्षण के लिए निकलती हैं। अन्यथा 18 जिले में सिर्फ एक सीट आरक्षित की जानी है, जबकि सरकार ने 15 अप्रैल की नोटिफिकेशन के जरिए सभी जिलों में बीसी-ए वर्ग के लिए दो सीटें आरक्षित की हैं जो कानूनन गलत हैं।
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