हरियाणा सरकार हुई विफल, नहीं रुक रही पराली जलाने की घटना
प्रदूषण जैसे मुद्दे पर इतनी लापरवाही
पराली से होने वाले वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर सियासत जारी है. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता एक दूसरे की सरकारों को पराली जलाने की घटनाओं को लेकर कोस रहे हैं. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला आंकड़ा मिला है. यह रिपोर्ट पर्यावरण के मसले पर हरियाणा सरकार की नाकामी पर मुहर लगाती है. इसके मुताबिक देश में हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां घटने की जगह पराली जलाने की घटनाओं में रिकॉर्ड 48.6 फीसदी की वृद्धि हो गई है. यह हाल तब है जब पर्यावरण विभाग खुद सीएम मनोहरलाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के पास है.
हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार नवीन धमीजा का कहना है कि केंद्र ने हरियाणा सरकार को पराली प्रबंधन (Parali Management) के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये दिए हैं. जब पैसा खर्च करने के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं इस कदर बढ़ रही हैं तो इस बात की जांच होनी ही चाहिए कि उसे खर्च कहां किया गया. कहीं पैसे की बंदरबांट तो नहीं हो गई? क्यों न हरियाणा सरकार से इस पैसे की रिकवरी की जाए.
प्रदूषण जैसे मुद्दे पर इतनी लापरवाही
धमीजा कहते हैं कि केंद्र में जब कोई मंत्री ठीक काम नहीं करता तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. अब हरियाणा सरकार पर्यावरण को लेकर घोर लापरवाही बरत रही है. यह विभाग खुद सीएम के पास है. इसके बावजूद यहां पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण की बात तो दूर उल्टे उसमें रिकॉर्ड 49 फीसदी की वृद्धि हो गई है. जिसका खामियाजा दिल्ली-एनसीआर के लोग जहरीली हवा के रूप में भुगत रहे हैं. इस पर मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि जब देश में सभी सूबों ने पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले कमी कर ली है तो यहां कैसे वृद्धि हो गई?
कितनी बढ़ीं घटनाएं?
>>केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं का सैटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग कर रही है. इसके कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक 2020 के मुकाबले 2021 में पराली जलाने की घटनाओं में 23.8 फीसदी की कमी आई है.
>>पंजाब में 21.2 फीसदी, यूपी में 10.4, दिल्ली में 55.6 फीसदी, राजस्थान में 51.8 परसेंट और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 63.8 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. लेकिन हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां घटने की जगह पराली जलाने की घटनाओं में 48.6 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है. यह 15 सितंबर से 13 नवंबर तक का विश्लेषण है.
अपने जिले में रोक नहीं लगा पाए सीएम
हरियाणा देश के टॉप 10 धान उत्पादकों में से एक है. यहां 2020 में 13 नवंबर तक पराली जलाने की 3635 घटनाएं हुई थीं. लेकिन 2021 में यह बढ़कर 5400 हो गई हैं.
हालात इतने खराब हैं कि सीएम मनोहर लाल खट्टर बड़े-बड़े दावों के बीच अपने गृह जिला करनाल में भी पराली जलाने पर रोक नहीं लगा सके. करनाल में 2020 में 576 जगहों पर पराली जली थी, जबकि इस साल 884 जगहों पर ऐसा हुआ है.
आखिर कहां खर्च हुई इतनी रकम?
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2018-19 से 2020-21 के दौरान किसानों को सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के वितरण, कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना और किसानों को जागरूक करने के लिए हरियाणा के हिस्से में 499.90 करोड़ रुपये आए हैं.
फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के लिए चालू वर्ष 2021-22 के दौरान ही हरियाणा के लिए 193.35 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ऐसे में सवाल ये है कि करोड़ों रुपये के खर्च के बावजूद कैसे घटने की जगह पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गईं. क्या किसानों (Farmers) को पराली प्रबंधन के लिए सिर्फ कागजों और प्रेस नोट में जागरूक किया गया?
सरकार का क्या है पक्ष
इस बारे में हमने सरकार का पक्ष लेने के लिए सीएम के मीडिया सलाहकार अमित आर्य से पूछा तो पहले उन्होंने कहा कि हमारे यहां पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं. लेकिन जब हमने उन्हें केंद्र सरकार की रिपोर्ट का हवाला दिया तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों से पूछकर बताउंगा. खबर लिखे जाने तक हमें उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी थी.
मशीन खरीदवाने की जगह किसानों को नगद मदद दे सरकार
कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं, "पराली प्रबंधन की मशीनें बिकवाने से ज्यादा जोर किसानों को डायरेक्ट मदद देने पर होनी चाहिए. अगर किसानों को पराली मैनेजमेंट के लिए प्रति क्विंटल 200 रुपये दिए जाएं तब इसका कुछ हल निकल सकता है." दरअसल, तमाम राज्यों में अधिकारी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि पराली प्रबंधन के लिए ज्यादा से ज्यादा मशीनें बिकें. जबकि पूसा डीकंपोजर (Pusa Bio Decomposer) के रूप में पराली गलाकर खाद बनाने के लिए सबसे सस्ता विकल्प मौजूद है. जिसके जरिए सिर्फ 50 रुपये के कैप्सूल से एक हेक्टेयर खेत की पराली खाद बन जाएगी.
इसे भी जानिए
>>नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 501.73 मिलियन टन फसल अवशेष पैदा होता है. जिसमें से 27.83 मिलियन टन हरियाणा का हिस्सा है.
>>इस साल (2021) में 15 सितंबर से 13 नवंबर तक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 75,480 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं हो चुकी हैं.
>>हरियाणा में पराली जलाने की सबसे ज्यादा केस फतेहाबाद (1134), कैथल (1107), करनाल (884), जींद (614), कुरुक्षेत्र (527) एवं अंबाला (285) में हुई हैं.