भारत में औषधीय फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाई जाने वाली ये है महत्वपूर्ण फसल
गांधीनगर । स्थानीय भाषा में ‘घोड़ा जीरा’ के रूप में जाना जाने वाला इसबगोल, भारत में औषधीय फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल है। पूरी दुनिया में भारत इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसबगोल के प्रसंस्करण में गुजरात देशभर में अव्वल है। भारत के कुल इसबगोल उत्पादन का 90 फीसदी प्रसंस्करण गुजरात में किया जाता है। राज्य के सिद्धपुर और ऊंझा में इसकी प्रसंस्करण इकाइयां कार्यरत हैं। ऊंझा और उसके आसपास के क्षेत्रों में इसबगोल प्रसंस्करण की लगभग 25 इकाइयां विकसित की गई हैं।
इसबगोल सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली औषधीय फसल है। भारत के कुल इसबगोल उत्पादन का 93 फीसदी हिस्सा पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है। अमेरिका भारतीय इसबगोल का सबसे बड़ा आयातक देश है। उसके बाद जर्मनी, इटली, यूके और कोरिया जैसे देश शामिल हैं। भारत से दुनिया के अनेक देशों में इसबगोल का निर्यात किया जाता है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। सरकार की बागवानी और औषधीय फसलों की प्रोत्साहक नीतियों के परिणामस्वरूप गुजरात में बागवानी और औषधीय फसलों की बुवाई और उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरकार की प्रोत्साहक उद्योग नीति तथा एग्रो इंडस्ट्रीज की नीतियों के कारण कृषि उत्पादनों के प्रसंस्करण और उनके निर्यात में भी वृद्धि हो रही है।
गुजरात में पिछले पांच वर्षों में दोगुना हुआ इसबगोल उत्पादन
इसबगोल उत्पादन में गुजरात देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। वर्ष 2018-19 में राज्य में इसबगोल का बुवाई का रकबा 6754 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 6817 मीट्रिक टन था। इसकी तुलना में वर्ष 2022-23 में कुल बुवाई का रकबा 13,303 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 12,952 मीट्रिक टन दर्ज किया गया है। इस तरह, पिछले पांच वर्षों में गुजरात में इसबगोल का बुवाई का रकबा और उसका उत्पादन लगभग दुगुना हो गया है।
बनासकांठा है गुजरात में इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक जिला
गुजरात में बनासकांठा जिले में इसबगोल का सर्वाधिक अर्थात 47 फीसदी उत्पादन होता है। उसके बाद कच्छ में 34 फीसदी, मेहसाणा में 10 फीसदी और जूनागढ़ में 5 फीसदी इसबगोल का उत्पादन होता है। इस तरह, गुजरात में इसबगोल के कुल उत्पादन का 96 फीसदी हिस्सा इन चार जिलों में पैदा होता है।
एशिया के सबसे बड़े एपीएमसी में इसबगोल की आवक में वृद्धि
ऊंझा की कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में पिछले पांच वर्षों में इसबगोल की आवक में भी वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018-19 में ऊंझा के एपीएमसी में 65,413 मीट्रिक टन इसबगोल की आवक हुई थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 87,050 मीट्रिक टन हो गई है। उल्लेखनीय है कि ऊंझा का गंज बाजार, इसबगोल, जीरा और सौंफ के लिए प्रसिद्ध है।
कृषि विश्वविद्यालयों ने जारी की इसबगोल की चार किस्में
गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों ने गुजरात इसबगोल-1, गुजरात इसबगोल-2, गुजरात इसबगोल-3 और गुजरात इसबगोल-4 सहित इसबगोल की कुल चार उन्नत किस्में जारी की हैं। इन किस्मों का प्रति हेक्टेयर क्रमशः 800 से 900 किग्रा. और 1000 किग्रा. उत्पादन लिया जा सकता है।
आयुर्वेदिक, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा में उपयोगी
इसबगोल के बीज की तासीर शीतल होती है और उसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा में किया जाता है। इसके बीज और भूसी का उपयोग पाचन तंत्र एवं मूत्र-जननांग तंत्र के श्लेष्म झिल्ली की सूजन को कम करने में तथा आंतों के अल्सर, मस्से और गोनोरिया (सुजाक) जैसे यौन संचारित रोगों का उपचार करने के अलावा कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए किया जा सकता है।
औषधीय उपयोगों के अतिरिक्त इसका उपयोग रंगाई, कपड़ा छपाई, आइसक्रीम उद्योग, मिठाई और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी किया जाता है। इसबगोल के भूसी मुक्त बीज में 17 से 19 फीसदी प्रोटीन होता है, इसलिए इसका उपयोग पशु आहार में किया जाता है।
भारतीय इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका
अमेरिका भारत से इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार है, जो भारत से होने वाले कुल निर्यात में लगभग 75 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। वर्ष 2022-23 में भारत ने अमेरिका को 19,666 मीट्रिक टन इसबगोल का निर्यात किया था, जिसका मूल्य 1023.29 करोड़ रुपए है। वर्ष 2023-24 के लिए भी अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही के दौरान अमेरिका को 343.20 करोड़ रुपए मूल्य के 4931.70 मीट्रिक टन इसबगोल का निर्यात किया गया है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि वर्तमान में भारतीय औषधीय फसल इसबगोल की अमेरिका में जबरदस्त मांग है।
अमेरिका में बिकते हैं इसबगोल के विभिन्न उत्पाद
मार्केट रिसर्च कंपनी मिन्टेल के डेटा के अनुसार, इसबगोल के विभिन्न उत्पादों की अभी अमेरिका में जोरदार मांग है। वर्ष 2018 से वर्ष 2022 तक अमेरिका में इसबगोल के 249 नए उत्पाद बाजार में पेश किए गए थे। मास-मार्केट प्रोडक्ट मेटामुसिल के प्रवक्ता के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में इसबगोल उत्पादों की बिक्री दो अंकों की दर से बढ़ी है।
इसबगोल के बहुत से नए उत्पादों का उपयोग अब अमेरिकी रसोईघरों में भी होने लगा है। कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने वाले लोग इसका बाइंडिंग के रूप में उपयोग करते हैं। रसोई के दौरान पतले सॉस को थोड़ा गाढ़ा बनाने के लिए इसबगोल का उपयोग होता है। वहीं, ग्लूटेन-फ्री बेकर्स ब्रेड और केक के बेकिंग में भी इसका उपयोग किया जाता है। अमेरिका में पाचन को आसान बनाने और भूख को नियंत्रित रखने के लिए भी इसबगोल का उपयोग किया जाता है।