Durg. दुर्ग। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन न केवल आय का महत्वपूर्ण जरिया है, बल्कि इससे रोजगार भी मिलता है। ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य सरकार ने ग्रामीण आय बढ़ाने और कृषि विविधीकरण को सहयोग देने में पशुपालन के महत्व पर जोर दिया। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने प्रति पशु उत्पादकता में सुधार के लिए पिछले नौ वर्षों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पशुधन आधारित आजीविका के साधन बढ़ाने के उद्देश्य से जिले के छोटे पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। दुर्ग जिले के खपरी (सी) निवासी शुभम यादव का स्वयं का रोजगार स्थापित करने का सपना साकार हुआ। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे थे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पले-बढ़े यादव ने अपने गांव में ही बड़ा व्यवसाय शुरू करने की सोची। उन्होंने पशुधन विकास विभाग से संपर्क किया और उन्हें वर्ष 2023-24 में गौ-पालन के लिए दो गायों के लिए 70 हजार रूपए का अनुदान प्रदान किया गया। श्री यादव दो गायों से प्रतिदिन 8 लीटर दूध का उत्पादन कर उसे शहरी क्षेत्र के होटलों, कारखानों और मिठाई की दुकानों पर बेच रहे हैं। उन्होंने खेत में हरा चारा (नेपियर) घास लगाया, जिससे गायों को हरा चारा मिलने लगा। पशुपालन विभाग के अधिकारी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से हितग्राही को गौपालन और डेयरी के लिए प्रोत्साहित किया गया। योजना का लाभ लेने से पहले हितग्राही की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। श्री यादव ने गौपालन से कुल 1 लाख 30 हजार रुपये की आय अर्जित की है। वर्तमान में दो गाय और एक बछड़ा है। विभाग द्वारा एक गाय में कृत्रिम गर्भाधान कराया गया है। विभाग द्वारा समय-समय पर उपचार, टीकाकरण और कृमिनाशक, डिटाइसिंग, रक्त और गोबर के नमूने लेने का कार्य किया जाता है, जिससे पशु स्वस्थ है और पशुपालक लाभान्वित हो रहा है। डेयरी स्थापना और दूध विक्रय से मासिक आय प्राप्त होने से पशुपालक शुभम की आर्थिक स्तर में सुधार हुई है।