कांग्रेस शहर अध्यक्ष मुस्लिम होना चाहिए, रायपुर के कांग्रेसियों ने की मांग

छग

Update: 2024-09-15 16:04 GMT
Raipur. रायपुर। रायपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए जोर-तोड़ शुरू हो चुकी है, दौड़ में जोगी के कट्टर समर्थक रहे और मोतीलाल वोरा के कट्टर समर्थक आपस में भिड़ रहे है। सभी दावेदार एक दूसरे की शिकायत आलाकमान और सचिन पायलट से विगत 15-20 दिनों से करते आ रहे है। दूसरी ओर भूपेश गुट के दावेदार भी चुप-चाप अपनी दावेदारी मजबूती के साथ कर रहे है। अब अधिकांश कांग्रेसी नेताओं का कहना है बरसों से चली आ रही परंपरा के अनुसार रायपुर शहर कांग्रेस का अध्यक्ष मुस्लिम समाज से ही बनता है विगत 12 साल स्वर्गीय अब्दुल हमीद हयात या फिर स्वर्गीय इक़बाल अहमद रिज़वी जिन्होंने 15 साल कांग्रेस शहर अध्यक्ष रह कर सेवाएं दी। कांग्रेस की हमेशा परिपाटी रही है ये क्यों के मुसलमानों का जन संख्या ज़्यादा होने के बावजूद इस शहर में चारों विधानसभा में से एक भी विधानसभा टिकट मुसलमानों को नहीं दी जाती है इसलिए कांग्रेस पार्टी हमेशा मुसलमानों को ख़ुश करने के लिए और अपना वोट बैंक बचाने कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद से 80 से ही अध्यक्ष पद से नवाज़ रही है।

इतिहास गवाह है जब तक मुसलमानों को अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी बनाते रही तब तक कांग्रेस की सरकार छत्तीगढ़ है और मध्य प्रदेश में बनती रही और चार विधानसभा में तीन दो ऐसे कांग्रेस के विधायक बनते रहे। बड़े कांग्रेसी नेताओं ने कहा है कि जब वोट कांग्रेस पार्टी मुसलामानों से चाहती है तो खुलकर मुसलमानों को पद-प्रतिष्ठा से नवाजना चाहिए। क्युकी चुनाव की राजनीति से छत्तीसगढ़ में मुसलमान कोसो दूर हो चुके है। अब आने वाले सालों में एक भी विधायक मुस्लिम कोटे से नहीं बन पायेगा ऐसा मानना सभी लोगों का है। शेख मुनीर, सारिक रईस खान, सद्दाम सोलंकी, अब्दुल रब, असरफ हुसैन जैसे तेज़ तर्रार मुस्लिम युवा नेता भी शहर अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल है। बैजनाथ पारा, छोटापारा, टिकरापारा, संजय नगर, बैरनबाजार, नयापारा, तात्यापारा, राजा तालाब, पंडरी, ताजनगर, चौरसिया कालोनी जैसे विशाल क्षेत्र मुस्लिम आबादी से भरे पड़े है और अधिकांश कांग्रेसी नेता मुसलमान के पक्ष में शहर कांग्रेस अध्यक्ष बंनाने के लिए सब बड़े नेताओं के पास सिफारिश करने का मना बना रहे है। इसी के लिए कल दोपहर के बाद पुराने वरिष्ठ कांग्रेसियों की एक बड़ी बैठक दोपहर 4 बजे के बाद नयापारा डबरी के आस-पास रखी गई है। जिसकी पूरी जानकारी आने पर विस्तार से खबर लगाई जाएगी। दक्षिण विधानसभा उपचुनाव और नगर पालिका चुनाव होने के बाद ही फेरबदल होने की संभावना दिख रही है।


लोकसभा चुनाव में जिन प्रदेशों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है उन प्रदेशों में अध्यक्षों को अभी हटाने के मूड में नहीं दिख रही है। क्योंकि अभी कांग्रेस की नजर चार राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का परफॉर्मेंस अच्छा रहा है। पार्टी कई राज्यों में भी संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुटी है। इसके तहत पार्टी कई प्रदेशों में अध्यक्षों और जिला स्तर पर संगठन में बदलाव कर सकती है।जिसमे छत्तीसगढ़ भी शामिल है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा इकाई सहित कई राज्यों में पिछले चुनाव के तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में इन प्रदेशों के अध्यक्ष फिलहाल अपने पदों पर बरकरार रह सकते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सबसे बड़े बदलाव छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हो सकते हैं। इन प्रदेशों में पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी के साथ जिला स्तर पर भी बदलाव कर सकती है। क्योंकि इन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस ने कोई खास या कुछ भीअच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। पार्टी के नेता की माने तो छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्य्क्ष सहित जिला समिति में भी आमूलचूल परिवर्तन करने जा रही है। देखा जाता है की मुस्लिम समुदाय कांग्रेस की फेवर करते आ रही है।

राजधानी के चारों विधानसभा सीटों में मुस्लिम वोटर्स की तादाद भी अच्छी खासी है जो अमूमन कांग्रेस के ही वोटर रहे हैं ऐसे में शहर अध्यक्ष का पद कांग्रेस को किसी मुस्लिम को ही देना चाहिए। वैसे भी पिछले कार्यकाल देखे तो कांग्रेस पार्टी हमेशा मुस्लिमो को खुश करने के लिए और अपना वोट बैंक बचाने के लिए सन 80 से शहर अध्यक्ष के पद पर मुस्लिम समुदाय के किसी नेता को नवाज़ रही है। वर्तमान शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे 2020 से जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। फिलहाल परिवर्तन की संभावना दिसंबर-जनवरी तक नहीं है। क्युकी दक्षिण के उपचुनाव और नगर पालिका का चुनाव सर पर है कांग्रेस पार्टी ऐसे में बदलाव करने का कोई बड़ा रिस्क नहीं ले सकती।


उनको भी अपनी कार्यकारिणी गाथा करने में लगभग एक साल से भी ज्यादा वक्त लग गया था। उन्होंने राजनितिक संतुलन बनाने के लिए जम्बो कार्यकारिणी का गठन किया था जो एक साल इंतजार करने के बाद फाइनल हुआ था। गौरतलब है कि तात्कालीन पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने ही गिरीश दुबे को शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था, अपने कार्यकारिणी में नेताओ के लोगों को शामिल करने में उनको पसीना छूट गया था। जिसके चलते उन्होंने लगभग 125 सदस्यो की भारी भरकम कार्यकारिणी बनाई थी जिसे एक साल बाद वरिष्ठ नेताओ की अनुमोदन मिली थी। चूंकि अब मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज पीसीसी चीफ हैं और उनके कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकीय ऐसे में जिन राज्यों में अध्यक्ष बदलने की चर्चा है उसमे छत्तीसगढ़ का भी नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। स्वाभाविक है की नए पीसीसी चीफ बनने के बाद जिलों में भी नए अध्यक्ष बनाया जाना है। ऐसे में कुछ वरिष्ठ कांग्रेसजनो का कहना है की रायपुर में शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मुस्लिम समुदाय के किसी नेता को बिठाया जाय। ताकि कांग्रेस का वोट बैंक बना रहे और मुस्लिम समुदाय खुश भी रहे।
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