भिलाई Bhilai। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर चितरंजन त्रिपाठी Chittaranjan Tripathi से नई दिल्ली में सुप्रसिद्ध मूर्तिकार अंकुश देवांगन ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान उन्हें छत्तीसगढ़ की समृद्ध नाट्यकला-संस्कृति से परिचय कराया। उन्होंने बताया कि सरगुजा जिले के रामगढ़ में विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला आज भी अपने पूरे वैभव से आलीशान खड़ा है जहां महान कवि कालिदास ने मेघदूत की रचना की थी।
chhattisgarh news ज्ञात हो कि डा. अंकुश देवांगन ललित कला अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के प्रथम बोर्ड मेम्बर बने हैं। वर्तमान में वे वहां के परमानेन्ट कलेक्शन कमेटी के प्रतिनिधि हैं। एन.एस.डी. डायरेक्टर चितरंजन त्रिपाठी से मुलाकात में अंकुश ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला विरासत का विशद वर्णन किया। अंकुश ने बताया कि प्राचीन काल में इस धरा को दक्षिण कोसल कहा जाता था, जो भगवान् श्री राम का ननिहाल रहा है। उन्होंने यहां दशकों से जारी नाचा परंपरा का भी विशेष वर्णन किया जिसे देखने आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पूरी रात जागरण करते हैं।
उन्होंने मिनी भारत कहलाने वाले भिलाई में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। जिसके कारण विगत सात दशकों में यहां की थिएटर कला ने वैश्विक परिदृश्य में अपने आप को स्थापित किया है। यही नही यहां के कलाकार बालीवुड में भी रहकर भारतीय फिल्मजगत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रहे हैं। संयंत्र के सामाजिक सरोकार तथा सह्रदयता के कारण ही पद्मविभूषण तीजन बाई जैसे कलाकारों की कला परवान चढ़ी है। सिर्फ तीजन बाई ही नहीं बल्कि संयंत्र के विकासपरक नीतियों के कारण अनेक कलाकारों और खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। अंकुश देवांगन के उद्बबोधन से एन.एस.डी. डायरेक्टर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके। उन्होंने छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला-संस्कृति के विकास में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्य की मुक्तकंठ प्रशंसा की। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर अतिशीघ्र ही आने की इच्छा जताई है। chhattisgarh