प्रापर्टी बेचने के सारे हथकंडे फेल, औने-पौने में भी पूछ-परख नहीं

Update: 2022-04-04 05:32 GMT

प्रापर्टी के न खरीदार न बिकवाल, बिल्डर और दलाल में लट्ठम-लठ, मीडिया घराने के लोग भी बन रहे हैं दलाल

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रदेश में दो साल बाद कोरोना महामारी की मार और लाकडाउन से संतापित बिल्डरों को उम्मीद थी कि कोरोना के समाप्ति के साथ प्रापर्टी मार्केट में बूम मचेगा और उनकी करोड़ों की प्रापर्टी अरबों में सेल हो जाएगी। लेकिन मार्केट से मिल रही खबर उससे उलट है, प्रापर्टी मेला और लांचिंग समारोह आयोजित कर बड़े-बड़े सेलेब्रेटी और राजनेताओं को बुलाने के बाद भी प्रापर्टी मेले में खरीदारों की अरूचि ने बिल्डरों के हौसले पस्त कर दिया है। पिछले दो साल से कोरोना महामारी की मार झेल रहे बिल्डरों ने जो दलाल और मार्केटिंग के लिए लोग लगाए थे, वो भी लोगों को प्रापर्टी की खरीदी के लिए फरेरित नहीं कर पाए तो अब बिल्डरों ने सोशल मीडिया और मोबाइल फोन में लड़कियों की नियुक्ति कर मेसेस पर मेसेस पेल रहे है। फोन पर लड़कियां गुडमार्निंग सर करके अभिवादन कर बड़े ही सलीके पे पूछते है कि कहीं आप बेस्ट लोकेशन में प्रापर्टी खरीदी का प्लान बना रहे है तो हमारे प्रोजेक्ट का विजिट जरूर करें। बातों-बातों में लड़कियां कस्टर से यहां तक पूछ लेती है कि सर आप कब फ्री रहते है, उस समय लोकेशन विजिट करने का समय दे दीजिए। हम आपको सस्ते में प्लाट, फ्लेट, और स्वतंत्र मकान आपके बजट से भी कम रेट पर दिखा सकते है। राजधानी के बिल्डरों ने बढ़ते प्रतिस्पर्धा में मुकाबला करने के लिए सैकड़ों लोगों को फोन और एसएमएस करने के काम पर लगा रखा है। लोगों के पास रोज राजधानी सहित प्रदेश के अन्य जिलों के बिल्डरों प्रापर्टी खरीदी के आफर के साथ विजिट करने लोकेशन पर पहुंचने का आमंत्रण मिल रहा है। उसके बाद भी खरीदारों की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने से प्रापर्टी बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है। वहीं रेरा से लुकाछिपी कर प्रापर्टी बेचने वालों को रेरा ने नोटिस देकर सिरदर्द बढ़ा दिया है। कुछ बिल्डर तो रेरा में भी पंजीकृत नहीं है। जिनसे प्रापर्टी लेकर लोग पछता रहे है कि ब्रोशर में जो सुविधा दिखाया गया था वह तो है ही नहीं।

बिल्डरों की प्रापर्टी राजधानी के आउटर में

बिल्डरों की अधिकतर प्रापर्टी राजधानी से10-20 किमी दूर होने से राजधानी के में रहने वाली जरूरतमंद खरीदार भी रूचि नहीं दिखा रहे है। लोगों का कहना है कि जहां बिल्डरों की प्रापर्टी है वहां आने वाले 20 सालों तक कोई विकास के चासेंस नहीं है। वहां फ्लेट मकान लेने पर पर भी रोजमर्रा और मंथली किराना के लिए रायपुर पर ही आश्रित रहना पड़ेगा. ऐसे में वहां प्रापर्टी लेना सबसे बड़ी मुर्खता होगी। रोज रायपुर में अपने काम से आना पड़ेगा, कनवेंस के सात निजी वाहन होने पर भी हजारों रुपए पेट्रोल में फंूकना पड़ेगा। इसलिए लोग सस्ते में प्रापर्टी खरीदी के आफरों की अनदेखी कर रहे है।

प्रापर्टी बाजार में कोई पूछ परख नहीं

बिल्डरों ने आज से 20 साल पहले सस्ते में राजधानी के आउटर में जमीन खरीद लिया था, उसपर धीरे-धीरे काम चल रहा था, 2019 में अचानक कोरोना और लाकडाउन के चलते सभी प्रोजेक्ट धरे के धरे रहे गए जो या तो अधूरे पड़े है या कालम डालकर बाउंड्रीवाल फेंसिंग करके रखे है। उन प्रापर्टी को पूरा करने हाथपैर मारने के साथ जिस हालत में प्रापर्टी है उसे वैसे ही निकालने के लिए दलाल और मार्केटिंग वालों को काम सौंप दिया है। राजधानी से 10 से 20 किमी के रेंज में बिल्डरों का बाजार खुला हुआ है। प्रदेश के साथ राजधानी भी कोरोना के मुक्ति के कगार पर है, ऐसे मौकों को भुनाने के लिए बिल्डर बड़े-बड़े जुगाड़ करने से भी पीछे नहीं हट रहे है। उसके बाद भी प्रापर्टी बाजार में कोई पूछ परख नहीं होने बिल्डर अब लागत से कम मूल्य पर भी प्रापर्टी बेचने के लिए तैयार होने गए है ऐसी खबर है।

उद्योग-फैक्ट्री बंद कर बिल्डर बने कारोबारी

कोरोनाकाल में उद्योग-धंधे फैक्ट्री बंद होने के बाद उसके मालिकों ने अपनी जमीन पर मकान बनाकर बेचने की सोची और उसमें अंधाधुंध कमाई के लालच में कूद गए, लेकिन हश्र बुरा हुआ। सिर मुड़ाते ही ओले पडऩे की कहावत चरितार्थ हो रही है। उधर उद्योग-फैक्ट्री बंद हुआ नए धंधे में भी प्रापर रिस्पांस नहीं मिलने से अब औने-पौने में बेच कर नुकसान से उबरने के लिए लागत मूल्य से भी कम दाम पर प्रापर्टी बेचने के लिए अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रोपोगंडा कर रहे है।

खरीदरों के पास डाउन पेंमेंट के लिए पैसा नहीं

कोरोना काल से मुक्त हो रहे पब्लिक के पास अभी इतनी कमाई नहीं हुई कि डाउन पेमेंट भी इकट्ठा कर रखा हो। कोरोनाकाल में बेरोजगारी के दौर में घर की पूंजी से जैसे-तैसे खर्चा चलाने के अब नए रोजी रोजगार से जुडऩे की मशक्कत कर रहे है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों का कहना है कि अभी एक-दो साल तक तो प्रापर्टी खरीदने का कोई विचार नहीं कर सकते है। बिल्डर भले ही कम डाउन पेमेंट देकर प्रापर्टी खरीदने की जिद कर रहे लेकिन हमारे पास तो डाउन पेमेंट लायक पूंजी भी नहीं है। बैंक फाइनेंस होने के बाद भी 10 परसेंट डाउन पेमेंट के लिए राशि जुटाना मंदी के दौर में बहुत मुश्किल है।

6 माह की किश्त फ्री

बिल्डरों ने अपनी प्रापर्टी निकालने के लिए खरीदारों को 6 माह की बैंक किश्त खुद देने का आफर देने के बाद भी लोग प्रापर्टी खरीदने के लिए आगे नहीं आ रहे है। लोगों को बिल्डरों के आफर पर एक परसेंट भी विश्वास नहीं है, यदि गलती से जद्दोजहद कर प्रापर्टी खरीद लिया तो बाद में वो 6 किश्त फिर से जोड़ कर वसूली करेंगे। इस तरह की धारणा पब्लिक में बन चुकी है। उसे तोडऩा पड़ेगा। तभी बिल्डरों की प्रापर्टी में कुछ सुधार होने के साथ खरीदार आगे आ सकते है।

बैंकाक-पटाया और सिंगापुुर का टिकट भी बेअसर

बिल्डरों ने प्रापर्टी बेचने के लिए खरीदारों को तरह-तरह के आफर दे रहे है। जिसमें तीन रात दो दिन विथ फेमिली या सिंगल बैंकाक-पटाया और सिंगापुर जाने का टिकट भी बेअसर साबित हो रहा है। पैसे वालों ने अब तक मुट्ठी नहीं खोला है, निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार बिल्डरों के रेंज से अपने आप को बाहर मान रहे है। इस कारण उनके प्रापर्टी की पूछपरख भी नहीं कर रहे है। हताशा और निराशा से उबरने बिल्डरों के सारे हथकंडे फेल होने के कगार में पहुंच चुका है।

20 लाख की प्रापर्टी 10 लाख में भी लेवाल नहीं

प्रापर्टी बाजार में बूम आने की उम्मीद से धराशायी हुए बिल्डरों ने प्रापर्टी के दाम आधे पौने दाम में बेचने की ठान ली है। रोज राजधानी में बिल्डरों की मीटिंग हो रही है। कैसे भी करके प्रापर्टी बाजार में उठाव लाया जाए जिससे मरे प्रापर्टी को मरे दाम में ही निकाल कर घाटा को पूरा किया जा सके। बिल्डरों ने अपनी प्रापर्टी बेचने के लिए अब और दाम गिरा दिए है। 20 लाख की प्रापर्टी 10 लाख में बेचने के लिए तैयार हो गए है। फ्लैट में तो 31 हजार और 21 हजार देकर पजेशन लेने का आफर दे रहे है। उसके बाद भी खरीदार पूछताछ तक नहीं कर रहे है।

बिल्डरों के चंगुल में फंसे दलाल

बिल्डरों ने जिन दलालों को प्रापर्टी बिकवाने का ठेका और एडवांस दिया था, उन दलालों की रोज क्लास ले रहे है। कुछ बिल्डरों तो दलालों की फोड़ाई तक शुरू कर दी है। दलालों पर दबाव बनाया जा रहा है कि कैसे भी करके प्रापर्टी बिकवाओ नहीं तो समझ लो। बिल्डरों के पंजे से निकलने के लिए दलाल फडफ़ड़ा रहे है। दलाली छोड़कर अपने मूल धंधे में जाने की सोच रहे है। एक दो प्रापर्टी सेल कराने के बाद दलाल बिल्डरों से हिसाब किताब कराने का भी मन बना रहे है। जितना पैसा बिल्डरों से लिया था उसके हिसाब से काम कर दिया अब दलाली से तोबा कर अपना खुद का काम धंधा करने जाने वाले है।

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