बिहार के इस गांव में प्याज नहीं निकाल पाता किसी के 'आंसू'

Update: 2023-08-29 13:56 GMT
बिहार: हमारे आस-पास कई परंपराएं व मान्यताएं ऐसी होती हैं जो कई प्रकार की समस्याओं से न केवल हमें बचाती हैं, बल्कि कई बार हमें चौंकाती भी हैं. ऐसी एक मान्यता के कारण बिहार के एक गांव में प्याज खाने और लाने, दोनों पर पूरी तरह से बैन है. यह गांव बिहार के जहानाबाद में जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर है.
दरअसल, यह बात इसलिए हमें हैरान करती है क्योंकि भारत में अधिकांश घरों में बड़े चाव से प्याज-लहसुन खाया जाता है. खाने का टेस्ट बढ़ाने में प्याज की बड़ी भूमिका होती है. न केवल इनसे खाने का टेस्ट बढ़ता है, बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है. लेकिन, बिहार के इस गांव में प्याज और लहसुन पर बैन लगा हुआ है.
बिहार राज्य के जहानाबाद जिले के इस गांव का नाम त्रिलोकी बीघा है. यहां बीते कई दशकों से किसी ने लहसुन-प्याज को हाथ नहीं लगाया है. इन दोनों को नाम लेने पर भी प्रतिबंध है, बल्कि कोई इसे खरीद कर घर भी नहीं लेकर आता. इस गांव के लोगों ने बताया कि प्याज-लहसुन नहीं खाने को लेकर विशेष कारण है.
दरअसल, इस गांव में एक मंदिर है, जिसे ठाकुरबाड़ी कहते हैं. इसी मंदिर के देवताओं के श्राप की वजह से उन्हें प्याज-लहसुन नहीं खाना है. गांव में रहने वाली एक महिला के अनुसार कई सालों पहले एक परिवार ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की थी, इसके परिणाम स्वरूप उसके घर में कई अनहोनियां हो गई थीं. तबसे यहां ऐसी गलती कोई नहीं करता.
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव में करीब तीस से पैंतीस घर हैं, लेकिन कोई भी अपने घर में बनने वाले खाने में लहसुन प्याज नहीं मिलाता. यहां तक की इसे खरीद कर घर भी नहीं लाया जाता. कई लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन कई लोग इसे आस्था से जोड़कर ग्राम देवता के नाराज होने की बात कहते हुए प्याज खाना तो दूर छूना भी नहीं चाहते.
इस गांव में ना सिर्फ लहसुन प्याज, बल्कि मांस और शराब पर भी प्रतिबंध है. कई लोगों को जब इस गांव की अनोखी बात पता चली, तो उन्होंने कहा कि इस गांव के लोगों पर प्याज के बढ़ते दामों का कोई असर नहीं होता होगा. जाहिर है टमाटर की लाली का असर तो यहां भी पड़ा, लेकिन प्याज के तेवर का इस गांव के लोगों पर फर्क नहीं पड़ता.
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