मेला खत्म होने से स्थानीय उत्पादों का बाजार छिना

Update: 2023-07-14 06:04 GMT

भागलपुर न्यूज़: मेला खत्म होने का स्थानीय उत्पादों पर नकारात्मक असर पड़ा है. अब बाजार छिन चुका है. पहले मीना बाजार या पूजा के अवसर पर लगने वाले मेले से स्थानीय दुकानदारों की अच्छी कमाई हो जाती थी. इससे कुछ दिनों तक उनका गुजारा अच्छे ढंग से हो जाता था. वर्तमान समय में प्रायोजित मेला लग रहा है. जहां ग्राहकों की संख्या पहले की तुलना में कम हो रही है. पारंपरिक मेले में चूड़ा, आचार, पापड़, बरी आदि स्थानीय महिलाएं तैयार कर बेचने आती थीं. आज के दौर में अब इसे व्यवसाय का रूप दे दिया गया है. जहां क्वालिटी में कमी हो गयी है.

गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के अध्यक्ष प्रकाशचंद्र गुप्ता ने बताया कि भागलपुर में मीना बाजार, सर्कस या सैंडिस कंपाउंड में अब मेला नहीं लग रहा है. इस कारण स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है, जबकि मेला लोक सांस्कृति का परिचायक है. यह सांस्कृतिक धरोहर है. मेला से सामाजिक एकता बढ़ता था. यह आर्थिक संपन्नता का परिचायक था. सरकार अब मेला की अनुमति भी कम देती है. इसे जीवित करने के लिए सैंडिस कंपाउंड का उपयोग करने का आदेश देना चाहिए. उन्होंने कहा कि हरियाणा व पंजाब में लोक उत्सव खूब हो रहा है. ऐसे में स्थानी उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है.

पूजा के अवसर पर पारंपरिक मेला हो रहा विलुप्त

भागलपुर में विभिन्न पूजा के अवसरों पर लगने वाले पारंपरिक मेला भी अब विलुप्त हो रहा है. मोहद्दीनगर दुर्गा मंदिर के उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता राकेश रंजन केशरी ने बताया कि यहां दुर्गापूजा, विषहरी पूजा, कालीपूजा पर पहले दूर-दराज के लोग मेला में सामान बेचने आते थे. वो लोग कुछ दिनों के भागलपुर में ही किराये के मकान ले लेते थे और विभिन्न जगहों पर सामान बेचते थे. इस कारण उनकी अच्छी कमाई हो जाती है. अब पूजा के मेला में लोगों का रुझान खान-पान पर ज्यादा हो गया है. पहले बांस से निर्मित, मिट्टी के खिलौने आदि सामान की खूब बिक्री होती थी. अब यह सामान काफी कम दिखते हैं.

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