सिवान: जिले में अगस्त महीने के खत्म होते ही बारिश रू- रूक कर हो रही ई है. इस साल सामान्य से कम बारिश होने का नया कीर्तिमान स्थापित हो रहा है. आसमान में उमड़-घुमड़ रहे बादलों ने किसानों को नफा और नुकसान दोनों का एहसास करा दिया.
कम बारिश होने से जहां खरीफ सीजन की फसल अरहर को फायदा है, वहीं मक्का, ज्वार-बाजरा और धान की फसल को नुकसान हो रहा है. समय पर अगर अच्छी बारिश न हो तो किसानों का नुकसान होना स्वभाविक है. मघा नक्षत्र को लेकर किसानों के मन में डर था. लेकिन, उतरते हुए माघा में अच्छी बारिश हो गई. अब पूर्वा नक्षत्र में बारिश नहीं हो रही है तो किसान परेशान हैं. इस वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गईं हैं. चुकी बांगर क्षेत्र में धान की फसल में पानी बिल्कुल सुख गया है.
अगर 8-10 दिनों के भीतर अच्छी बारिश नहीं हुई तो इसका सीधा असर धान के पैदावार पर पड़ सकता है. हालांकि किसानों को उत्तरा नक्षत्र से काफी उम्मीदें हैं. 14 सितबंर से उत्तरा नक्षत्र चढ़ रहा है. बहरहाल, बांगर क्षेत्र में कोड़ार, डीह व बलुअई मिट्टी वाले खेत से पानी सूखने लगा है. पुरवइया हवा के बहते रहने और धूप भी काफी तीखा होने के चलते खेत की मिट्टी अब गीली नहीं रही. इधर, जिस खेत में किसी वजह से कोई फसल नहीं है, किसान उस खेत की जुताई करना शुरू कर दिए हैं. खाली पड़े खेत में ट्रैक्टर से जुताई करके किसान घास अब (खर-पतवार) सूखा रहे हैं. सब्जी का उत्पादन करने वाले किसान फूलगोभी, टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, बोरीव भिंडी आदि की बुआई शुरू कर दिए हैं. अक्तूबर के अंत तक किसान आलू की बुआई भी शुरू कर देंगे.
बारिश की स्थिति पिछले साल से इस साल गड़बड़
बुजुर्गों का पूर्व के अनुभवों और बारिश हल्की ही होने की घटना ने कई सवाल छोड़ दिया है. पिछले साल मघा नक्षत्र में बारिश नहीं हुई तो बांगर क्षेत्र के किसानों को धान की फसल की एक-एक सिंचाई करनी पड़ी थी. पूर्वा नक्षत्र में भी कम ही बारिश हुई थी. उत्तरा और हथिया नक्षत्र में कामचलाऊ बारिश ही हुई. इन नक्षत्रों में बारिश बहुत अच्छी नहीं होने से धान की फसल काफी असर पड़ा. पैदावार कम होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा. किसानों का कहना है कि बारिश की स्थिति पिछले साल से इस साल बहुत गड़बड़ है.