Assam के करीमगंज में मिज़ो समुदाय मिज़ोरम का हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त
Assam असम : असम के करीमगंज जिले की दो घाटियों में रहने वाले मिजो समुदायों के एक संगठन ने मंगलवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा से कहा कि वे मिजोरम का हिस्सा बनना चाहते हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक नेता ने बताया कि थांगराम इंडिजिनस पीपल्स मूवमेंट (टीआईपीएम) के नेताओं ने यहां आयोजित एक बैठक के दौरान लालदुहोमा से कहा कि अगर उनके क्षेत्र को मिजोरम में शामिल कर लिया जाता है तो उनके समुदाय, संस्कृति और धर्म सबसे सुरक्षित और संरक्षित रहेंगे। नेता ने बताया कि टीआईपीएम, जो सिंगला और लांगकैह (लोंगई) घाटियों के ज़ो स्वदेशी लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, ने लालदुहोमा से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि उनके गांव और बसे हुए इलाके मिजोरम में विलय हो जाएं। उनके अनुसार, लालदुहोमा ने नेताओं से कहा कि वे दोनों घाटियों में मिजो लोगों की स्थिति से अवगत हैं और उन्हें मिजोरम का हिस्सा बनने के उनके प्रयासों में मदद का आश्वासन दिया। TIPM का दावा है कि सिंगला और लंगकैह घाटियों में विभिन्न ज़ो जातीय जनजातियों के 30,000 से अधिक लोग रहते हैं, जो 180 वर्ग मील से अधिक क्षेत्र में फैले हैं।
बैठक में TIPM नेताओं के साथ मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (MZP) के पदाधिकारी भी मौजूद थे।सिंगला घाटी और लंगकैह घाटी के मिजो समुदाय 2020 से मिजोरम के साथ विलय की मांग उठा रहे हैं और 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को विलय की इच्छा व्यक्त करते हुए ज्ञापन सौंपे हैं।उन्होंने ज़ोरमथांगा के नेतृत्व वाली पिछली मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) सरकार से भी मदद मांगी थी। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि MNF सरकार ने TIPM की पहल का समर्थन किया, लेकिन इस संबंध में आगे कोई प्रगति नहीं हो सकी।असम में जिस क्षेत्र में मिजो रहते हैं उसे 'थांगराम' (पश्चिमी भाग) के नाम से जाना जाता है और इसमें लगभग 24 गाँव हैं। इसकी सीमा पश्चिमी मिजोरम के मामित जिले से मिलती है।टीआईपीएम नेताओं ने यह भी दावा किया कि थांगराम क्षेत्र पर प्राचीन काल से मिजो या ज़ो स्वदेशी जनजातियों का कब्जा रहा है और 1987 में राज्य का दर्जा मिलने से पहले यह मिजोरम का हिस्सा था।उन्होंने आरोप लगाया कि असम सरकार ने इस क्षेत्र की उपेक्षा की है और उन्हें विकास और अन्य कल्याणकारी योजनाएं मुश्किल से ही मिली हैं।