असम के CM ने रुद्र महायज्ञ पर उपस्थित होकर किया प्रदेश में शांति एवं सद्भावना की कामना

Update: 2024-09-16 18:18 GMT
Assam असम: गुवाहाटी के खानापारा स्थित विशाल यज्ञशाला में श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कामेश्वरी महाआराधना श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में हर्षोल्लास के साथ छठे दिन भी संपन्न हुआ। इसे देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से विभिन्न वर्ग के श्रद्धालुओं का यज्ञशाला स्थल पर दिनभर जमावड़ा लगा रहा। वहीं छठे दिन के दोपहर बाद करीब 4:00 बजे असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमन्ता विश्वा शर्मा भी यज्ञ स्थल पर आए। मुख्यमंत्री पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ से मिले एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद सायकाल प्रदेश के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य भी महायज्ञ स्थल पर आये एवं शंकराचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल ने कहा कि धर्म के बगैर समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। महायज्ञ से समाज में शांति एवं समृद्धि आयेगी। वहीं, मुख्य मंत्री यज्ञ स्थल पर भी गए एवं देवी देवताओं को नमन किया। इस दौरान शंकराचार्य ने उन्हें आशीर्वाद दिया एवं प्रदेश में शांति एवं सौहार्द कायम रहे, इसकी कामना की। मुख्यमंत्री के काफिले में बड़ी संख्या में असम के मंत्री, निकायों के अध्यक्ष, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल थे। मुख्य मंत्री ने मीडिया से कहा की प्रदेश में शांति एवं सद्भावना के लिए महायज्ञ में आशीर्वाद प्राप्त करने आये हैं। महायज्ञ का समापन आज 16 सितम्बर को होगा।
शनिवार और रविवार को खानापारा स्थित यज्ञशाला परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जनजाति समाज के लोग भी बड़ी संख्या में आए थे। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। इन लोगों ने श्रद्धा एवं भक्ति के साथ पूजन अर्चन किया। इस दौरान विद्वान आचार्यों के मंत्रोच्चार से यज्ञ स्थल एवं आसपास का वातावरण भक्ति भक्तिमय बना रहा। इसके पूर्व त्रिपुरा भाजपा की वरिष्ठ नेत्री एवं एक्स केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक, अरुणाचल की वाल विकास मंत्री दासांगुल पुल, नार्थ ईस्ट कौंसिल मिनिस्टीरियल ऑफ डोनर के वरिष्ठ अधिकारी आई ए एस लोंकी फांसो शंकराचार्य से मिले एवं आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने क्षेत्र के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास पर विचार विमर्श किया। सायकाल प्रार्थना के बाद विद्बान आचार्यों ने यज्ञशाला की प्रदक्षिणा की। वहीं असमिया लोक कलाकारों ने भी शंकराचार्य से मुलाकात की और आशीर्वाद प्राप्त किया।
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