World Cancer Day: गर्भाशय कैंसर की वजह बन सकती है महिलाओं में हार्मोन का असंतुलन होना, इन लक्षणों को न करें अनदेखा
महिलाओं में हार्मोन असंतुलन, पीसीओडी और ज्यादा वजन जैसी दिक्कतें आजकल खराब लाइफस्टाइल की बहुत ज्यादा बढ़ रही है. लेकिन
महिलाओं में हार्मोन असंतुलन, पीसीओडी और ज्यादा वजन जैसी दिक्कतें आजकल खराब लाइफस्टाइल की बहुत ज्यादा बढ़ रही है. लेकिन अगर आप इनको लेकर गंभीर नहीं हैं, तो अब हो जाइए क्योंकि ये समस्याएं गर्भाशय कैंसर की वजह भी बन सकती हैं. गर्भाशय एक खोखला नाशपाती के आकार का अंग होता है जहां भ्रूण अपने विकास के दौरान रहता है.
गर्भाशय कैंसर बेशक अभी मुंह के कैंसर जितना आम नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं. ब्रेस्ट कैंसर के बाद ये गर्भाशय कैंसर दूसरा ऐसा कैंसर है जो महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है. आज 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day 2021) के मौके पर जानिए इसके बारे में..
जानिए क्या है गर्भाशय कैंसर
गर्भाशय कैंसर के दौरान गर्भाशय में कोशिकाओं का असामान्य विकास जब ट्यूमर का रूप ले लेता है तो इसे एंडोमेट्रियल कैंसर या गर्भाशय कैंसर के तौर पर जाना जाता है. ज्यादातर 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को गर्भाशय कैंसर होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है. लेकिन आजकल हार्मोन असंतुलन की समस्या कम उम्र की महिलाओं में भी बढ़ गई है, ऐसे में 30 से 35 साल की उम्र में भी इसके मामले सामने आने लगे हैं. उन महिलाओं में आम है जिन्हें पहले से कोई गर्भधारण नहीं हुआ है या जो महिलाएं लंबे समय तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से गुजर चुकी हैं.
गर्भाशय कैंसर के प्रकार
एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा : एंडोमेट्रियम यानी गर्भाशय के अंदरूनी अस्तर में कैंसर कोशिकाओं के निर्माण की स्थिति को एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा कहा जाता है. इसे ही सामान्य भाषा में गर्भाशय कैंसर या एडेनोकार्कोमा भी कहा जाता है.
गर्भाशय सार्कोमा : ये गर्भाशय की मांसपेशी परत मायोमेट्रियम में शुरू होता है. गर्भाशय कैंसर के 2 से 4 फीसदी मामले इस प्रकार में आते हैं.
ये हैं कारण
गर्भाशय कैंसर के सटीक कारण तो स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन विशेषज्ञ कुछ कारणों को इसकी संभावित वजह मानते हैं. इनमें पीसीओएस, मोटापा, हार्मोन असंतुलन, टाइप 2 डायबिटीज, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया, बांझपन वगैरह शामिल है.
ये लक्षण आते सामने
–गुलाबी और गाढ़ा, भूरा, और बदबूदार योनि स्राव.
–कठिन या दर्दनाक पेशाब.
–बढ़ा हुए गर्भाशय.
–संभोग के दौरान दर्द.
–अप्रत्याशित रूप वजन कम होना.
–निचले पेट, पीठ, या पैरों में कमजोरी और दर्द.
–योनि से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज
–असामान्य रूप से भारी मासिक धर्म.
–मीनोपॉज के बाद की महिलाओं में योनि से रक्तस्राव.
ये है इलाज
अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी के जरिए विशेषज्ञ इसका पता लगाते हैं. जरूरत के हिसाब से सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट भी कराए जा सकते हैं. कैंसर की पुष्टि कोने पर रेडिएशन थैरेपी या हिस्टरेक्टमी सर्जरी के जरिए महिला का इलाज किया जाता है. जरूरत पड़ने पर कैंसर से लड़ने में मदद करने के लिए इम्यूनोथेरेपी और कैंसर के विकास को धीमा करने के लिए प्रोजेस्टेरोन के साथ हार्मोन थेरेपी भी दी जाती है.
ऐसे करें बचाव
–मोटापा कम करें.
–संतुलित आहार लें.
–नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और वॉक करें
–सब्जी, फलों और साबुत अनाजों को अपनी डाइट में शामिल करें.
–खूब पानी पिएं.
–बताए गए लक्षण दिखें तो विशेषज्ञ से परामर्श करें.