ऑटो इम्यून बीमारियों के शिकार महिलाएं को ज्यादा खतरा
महिलाओं को ऑटो इम्यून बीमारियां ज्यादा होने की मुख्य वजह तनाव, अवसाद और डिप्रेशन है. महिलाएं इस समस्या से ज्यादा ग्रस्त हो रही हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | महिलाओं को ऑटो इम्यून बीमारियां ज्यादा होने की मुख्य वजह तनाव, अवसाद और डिप्रेशन है. महिलाएं इस समस्या से ज्यादा ग्रस्त हो रही हैं क्योंकि वो पुरुषों के मुकाबले सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा कमजोर स्थिति में है और ये कमजोर और दोयम स्थिति तनाव और डिप्रेशन पैदा कर रही है.
पूरी दुनिया में ऑटो इम्यून बीमारियों के शिकार हर चार लोगों में से तीन महिलाएं हैं
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में स्ट्रेस, मल्टी जेनेरशनल ट्रॉमा और बीमारियों पर एक व्याख्यान देते हुए डॉ. गाबोर माते कहते हैं, आज से पांच दशक पहले महिलाओं और पुरुषेां में ऑटो इम्यून बीमारियों का प्रतिशत बराबर था. इस बीमारी का शिकार हर 10 लोगों में से पांच महिलाएं और पांच पुरुष थे, लेकिन महज चार दशक बाद ये आंकड़ा एकदम उलट गया. आज पूरी दुनिया में ऑटो इम्यून बीमारियों के शिकार हर चार लोगों में से तीन महिलाएं हैं.
2011 में अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने एक स्टडी प्रकाशित की, जिसके मुताबिक अमेरिका की 8 फीसदी आबादी ऑटो इम्यून बीमारियों की शिकार है. लेकिन उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि उस 8 फीसदी में भी 78 फीसदी महिलाएं थीं.
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी कहती है कि महिलाओं की जैविक संरचना के कारण वो कम बीमार पड़ती हैं और वायरस का प्रभाव उनके शरीर पर पुरुषों के मुकाबले कम होता है. लेकिन इसके बावजूद पूरी दुनिया में ऑटो इम्यून बीमारियों की शिकार 80 फीसदी पॉपुलेशन महिलाओं की है.
बीमारियों मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं. जेनेटिक, वायरस जनित और तीसरी ऑटो इम्यून. जेनेटिक बीमारियां पूरी तरह हमारे जीन पर निर्भर करती हैं. अगर परिवार के जीन में कोई खास तरह की बीमारी या मेडिकल कंडीशन है तो वो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होगी. दूसरी तरह की बीमारियां वो होती हैं, जो वायरस के कारण फैलती हैं. जैसेकि इस समय पूरी दुनिया कोविड की चपेट में है, जिसके लिए जिम्मेदार एक वारयस है.
इन दोनों के अलावा तीसरी तरह की बीमारी होती है, जिसे ऑटो इम्यून डिजीज कहते हैं. यह न हमें जीन से मिलती है और नही किसी वायरस से. यह शरीर के भीतर अपने आप पैदा हो जाती है. हमारा इम्यून सिस्टम, जिसे हिंदी में प्रतिरक्षा तंत्र भी कहते हैं, उसका काम शरीर की रक्षा करना है. जब किन्हीं आंतरिक बदलावों के चलते वो प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के लिए काम करने की बजाय शरीर के खिलाफ काम करने लगता है तो ऑटो इम्यून बीमारियों की शुरुआत होती है.
कुछ प्रमुख ऑटो इम्यून बीमारियां इस प्रकार हैं- सेलिएक डिजीज, डायबिटीज टाइप 1, ग्रेव्स डिजीज, इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्किन डिजीज, सोरायसिस, रूमोटाइड आर्थराइटिस आदि.
डॉ. गाबोर माते कहते हैं कि महिलाओं को ऑटो इम्यून बीमारियां ज्यादा होने की मुख्य वजह तनाव, अवसाद और डिप्रेशन है. महिलाएं इस समस्या से ज्यादा ग्रस्त हो रही हैं क्योंकि वो पुरुषों के मुकाबले सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा कमजोर स्थिति में है और ये कमजोर और दोयम स्थिति तनाव और डिप्रेशन पैदा कर रही है.