डिलीवरी के बाद इन समस्याओं से दो-चार होती हैं महिलाएँ, व्यायाम करने से होता है फायदा
व्यायाम करने से होता है फायदा
प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए सबसे सुखद अहसास होता है। लेकिन, मां बनने के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिन्हें देख समझकर वे काफी परेशान रहने लगती हैं। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद प्रत्येक महिला को उचित देखभाल की जरूरत होती है, ताकि इन सभी शारीरिक बदलावों से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकें। बच्चे के जन्म के बाद मां की जिम्मेदारियां काफी बढ़ जाती हैं। प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए चैलेंजिंग होता है लेकिन ये समय हर एक मां के लिए काफी खास होता है। आज हम अपनी महिला पाठकों को इस आलेख के जरिये यह बताने जा रहे हैं कि डिलीवरी के बाद उनके शरीर में क्या बदलाव महसूस होते हैं और उनसे किस तरह से जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है।
बाल झडऩे लगते हैं
महिला चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि डिलीवरी होने के एक सप्ताह बाद से ही महिलाओं के बाल झडऩे लगते हैं। अगर यह समस्या आपके साथ भी हो रही है तो इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं हैं। आमतौर पर डिलीवरी के 6 महीने तक औरतों को इस समस्या से जूझना पड़ता है लेकिन बाद में बाल का ग्रोथ फिर से सही हो जाता है। ऐसा हार्मोनल बदलाव के कारण होता है।
चप्पल, जूते, सैंडल के साइज में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। अमूमन यह 12 से 16 किलो तक बढ़ता है। ऐसे में ज्यादा वजन पैरों में बहुत अधिक दबाव पैदा करता है। इसके कारण पैर का आर्च चपटा हो जाता है। जिसके कारण जूते, चप्पल सैंडल का साइज बदल जाता है। आपको गर्भावस्था के दौरान बड़ी साइज के चप्पल, जूते, सैंडल पहनने पड़ते हैं।
चेहरे में होता है बदलाव
चेहरे में भी कई बदलाव आते हैं। कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान व बाद में चेहरे पर सूखेपन की समस्या हो जाती है। यह सब हार्मोनल चेंजेस के कारण होता है। डिलीवरी के बाद धीरे-धीरे हार्मोन में फिर से बदलाव आना शुरू होता है जिसके चलते यह समस्या खत्म होने लगती है।
ब्रेस्ट में बदलाव
ब्रेस्ट में बदलाव होने की समस्या सभी महिलाओं के साथ होती है। ब्रेस्ट में दर्द और सूजन जैसी चीजें होना काफी आम बात है। गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट का बड़ा होना, स्तनों में दूध का बढऩा, दर्द रहना बहुत ही कॉमन समस्या है। दरअसल प्रेग्नेंसी में स्तन, पेट और जांघों की त्वचा खिंच जाती है। इसके कारण ब्रेस्ट में बदलाव होने लगते हैं। सोते समय दबाव पडऩे के कारण स्तनों से दूध का निकलना, पेट का हल्कापन तथा मानसिक और शारीरिक थकान का होना भी आम बात है। प्रसव के बाद इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा प्रभावित हिस्से योनि और स्तन होते हैं। पूरी प्रजनन प्रक्रिया में स्तनों में काफी दर्द होता है। स्तनों का आकार भी सामान्य से बढ़ जाता है। अधिक तकलीफ हो, तो डॉक्टर से एक बार संपर्क करें।
वजाइना में दर्द
कई महिलाओं को डिलीवरी होने के बाद वजाइना में दर्द होने की समस्या भी हो सकती हैं। डिलीवरी के करीब 7 से 9 महीने के बाद पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। ऐसे में कुछ महिलाएँ ऐसी भी होती हैं जिन्हें काफी लेट से पीरियड होता है। यह समस्या ज्यादातर नार्मल डिलीवरी में देखी जाती हैं। सिजेरियन डिलीवरी में ऐसा नहीं होता है। ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा हम नहीं बल्कि महिला चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है।
चिड़चिड़ापन
कुछ महिलाएँ काफी चिड़चिड़ी रहने लगती हैं। बात-बात में गुस्सा करने लगती हैं। बच्चे के जन्म के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं। इसके कारण महिलाएँ ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती हैं। ऐसे में खुश रहने के उपाय ढूंढें। अपने साथी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएँ। अपने बच्चे के साथ उसके हर पल को एन्ज्वॉय करें।
वजन बढऩा और पेट निकलना
गर्भावस्था के दौरान अक्सर कुछ मिहलाओं का वजन काफी बढ़ जाता है। पेट भी जल्दी अंदर नहीं जाता है। प्रसव के बाद यह बढ़ा हुआ वजन महिलाओं के मन में और भी निराशा भर देता है। इसे अपनी लाइफ का हिस्सा ही समझें और वजन और पेट को कम करने के लिए एक्सरसाइज करें। सुबह के समय वर्कआउट करें।