भारतीय खानपान में पिसी हुई हल्दी का उपयोग तो ख़ूब होता है, उसकी तुलना में कच्ची हल्दी लगभग पूरी तरह उपेक्षित है. पर आपको यह पता होना चाहिए कि कच्ची हल्दी भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद फ़ायदेमंद है. आइए जानते हैं, क्यों कच्ची हल्दी को अपने खानपान में ज़रूर शामिल करना चाहिए.
आयुर्वेद क्या कहता है कच्ची हल्दी के बारे में?
ज़मीन के अंदर गांठ के रूप में पैदा होनेवाली पीले रंग की हल्दी के फ़ायदे ही फ़ायदे हैं. इसमें 13.1% पानी, 6.3% प्रोटीन, 5.1% वसा, 69.04% कार्बोहाइड्रेट, 3.5% क्षार, 0.15% कैल्शियम, 0.28% फ़ॉस्फ़ोरस होता है. 100 ग्राम कच्ची हल्दी में 18.3 मिलीग्राम आयरन होता है.
आयुर्वेद के अनुसार कच्ची हल्दी कड़वी, तिक्त, गर्म, स्फूर्तिदायक, कृमि-नाशक, शरीर को शुद्ध रखनेवाली और कफ़, सूजन एवं वायु को ख़त्म करनेवाली होती है. इसकी प्रकृति शुष्क होती है. हल्दी घावों को भर देती है और भूख जगाती है.
इतना ही नहीं यह शारीरिक कांति में वृद्धि करती है तथा त्वचा के रंग को साफ़ करती है. सर्दी, वात रोग, रक्त की ख़राबी, कुष्ठरोग, मधुमेह, घाव, त्वचारोग, सूजन तथा बदहज़मी में बहुत ही उपयोगी है.
इस्तेमाल का तरीक़ा
कच्ची हल्दी को पीसकर उसका रस निकाला जा सकता है. दो-तीन चम्मच हल्दी के रस का मूल रूप में अथवा उसमें थोड़ा पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए. लिवर को सशक्त बनाने की जो शक्ति हल्दी में है, वह किसी दूसरे तत्त्व में नहीं है. आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में इस बात की पुष्टि की गई है. आधुनिक आहारविद् भी हल्दी के इस गुण को मान्य करते हैं. कच्ची हल्दी के सेवन से बुढ़ापा पास नहीं फटकता और बीमारियां शरीर में जड़ नहीं जमा पातीं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमारे लिवर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखती है. स्वस्थ लिवर अर्थात समूचा शरीर स्वस्थ और सक्रिय बना रहता है. पीलिया की पुरानी बीमारी में भी हल्दी का रस बहुत लाभदायक होता है.
हल्दी का रस रक्त को शुद्ध करता है और कफ़ को दूर करता है. यदि नियमित रूप से सुबह-शाम हल्दी के ताज़ा रस का सेवन किया जाए तो कुष्ठरोग एवं हाथ-पैरों की सूजन में विशेष लाभ होता है. हल्दी का ताजा रस अथवा हल्दी का चूर्ण गर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से सर्दी, खांसी एवं कफ़ में शर्तिया लाभ होता है. मोच आ जाने और शरीर में सूजन होने पर हल्दी का गर्म-गर्म लेप लगाने से बहुत आराम मिलता है.
नाक, गला एवं सांस नली से कफ़ निकलने की अवस्था में हल्दी का रस बहुत उपयोगी होता है. इससे कफ़ की झिल्ली सूख हो जाती है और कफ़ में एकदम कमी आ जाती है. त्वचा के रोगों में हल्दी काफी उपयोगी है. हल्दी का सेवन करने से रक्त और मां का दूध शुद्ध हो जाता है. इससे त्वचा कोमल एवं कांतिमय बन जाती है. हल्दी में मक्खन मिलाकर शरीर पर मालिश करने से त्वचारोग दूर हो जाते हैं.