जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सोरायसिस एक प्रकार का चर्म रोग है जिसे एक आनुवांशिक बीमारी माना जाता है. अनुवांशिकता के अलावा भी कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कोई इंसान इससे संक्रमित हो सकता है. इस बीमारी में स्किन की ऊपरी सतह पर एक मोटी परत जमने लगती है और चकत्ते बनने लगते हैं. यही नहीं, सही समय पर अगर इस बीमारी का इलाज ना शुरू किया जाए तो ये खतरनाक भी हो सकता है और शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है.
आमतौर पर यह हाथ, पैर, हाथ की हथेलियों, पांव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर सबसे ज्यादा होती है. इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ही पूरे अगस्त महीने को सोरायसिस जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है.
सोरायसिस जागरूकता माह का इतिहास
सोरायसिस अवेयरनेस मंथ की पहल सबसे पहले 1997 में राष्ट्रीय सोरायसिस फाउंडेशन (एन.पी.एफ.) ने की थी जिसका उद्देश्य था समाज में इस बीमारी से बचाव और इलाज की जानकारी फैलाना. शुरुआती दौर में इसे अक्टूबर में मनाया गया था लेकिन बाद में इसे अगस्त में मनाने का निर्णय लिया गया. बता दें कि इस घटना को पहली बार अक्टूबर 1997 में जब राष्ट्रीय जागरूकता अभियान के रूप में मनाया गया था तब से ही समाचार पत्रों, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से सोरायसिस के बारे में तमाम तथ्य आदि का प्रचार करने का काम शुरू हुआ था.
अगस्त में ही क्यों मनाया जाता है सोरायसिस अवेयरनेस मंथ
दरअसल, इसे अगस्त में मनाने के पीछे बड़ी वजह ये थी कि इस महीने में लोग तैराकी और धूप में रहने वाली गतिविधियों में हिस्सा अधिक लेते हैं जो स्किन की इस बीमारी को ट्रिगर करने का काम करती हैं.
सोरायसिस जागरूकता महीना का महत्व
सोरायसिस जागरूकता महीना मनाने का उद्देश्य मरीजों, डॉक्टर, परिवार और सामान्य लोगों को इस बीमारी के बारे में तमाम जानकारियां मुहैया कराना है. जानकारियों के तहत इस बीमारी के लक्षण, इलाज, नए शोध, टेस्ट आदि की जानकारी दी जाती है, जिससे लोग इस बीमारी से खुद को बचा सकें और सही समय पर इलाज कर सकें.