गले में नाग धारण क्यों करते हैं भगवान शिव
वैदिक धर्मग्रन्थों में बताया गया है कि भगवान शिव के गले में लिपटे हुए सांप का नाम वासुकि है
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार (Mahashivratri 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। वैदिक धर्मग्रन्थों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के विख्यात रूप और बारात को देखकर माता पार्वती दंग रह गई थीं। भगवान शिव ने बाघ की छाल से तन को ढका हुआ था, शरीर पर भस्म रमी हुई थी, गले में रुद्राक्ष के साथ-साथ नागराज बैठे हुए थे। भगवान शिव के इस स्वरूप से हम सब भी परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ के गले में लिपटे हुए सांप के पीछे अत्यंत रोचक कथा है। आइए जानते हैं कि क्यों भगवान शिव गले में धारण करते हैं नागराज?
भगवान शिव और नागराज वासुकि का अटूट संबंध (Bhagwan Shiv and Vasuki Naag)
वैदिक धर्मग्रन्थों में बताया गया है कि भगवान शिव के गले में लिपटे हुए सांप का नाम वासुकि है, जिन्हें सभी नागों का राजा कहा जाता है। कथा के अनुसार हिमालय में नाग वंश के लोग वास करते थे, जिन्हें भगवान शिव से बहुत लगाव था। इन्हीं में से एक नागराज वासुकि भगवान शिव के परम भक्त थे। नागराज वासुकि की भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपने गले में धारण करने का वरदान दिया था और तब से वह अमर हो गए।
भगवान श्री कृष्ण और समुद्र मंथन से जुड़ता है नागराज का संबंध
किवदंतियों के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण को उनके पिता वासुदेव गोकुल ले जा रहे थे, तब नागराज वासुकि ने ही यमुना के तूफान में उनकी रक्षा की थी। इसके साथ जब देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उस दौरान मेरू पर्वत को मथने के लिए वासुकि नाग का ही रस्सी के रूप में प्रयोग लिया गया था। इसी दौरान समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने गले में धारण कर लिया था और घर्षण के कारण वासुकि लहूलुहान हो गए थे। पुराणों में यह भी बताया गया है कि नागराज वासुकि के सिर पर नागमणि स्थपित है।