क्यों होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम

आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को शराब न पीने की सलाह दी जाती है

Update: 2023-02-20 16:14 GMT

इस बात को हम सभी जानते हैं कि शराब का सेवन हमारी सेहत के लिए कई मायनों में हानिकारक है। इसके सेवन से न सिर्फ हमें कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, बल्कि यह हमारे सामाजिक और निजी जीवन को भी काफी प्रभावित करती है। आम व्यक्ति के लिए तो शराब हानिकारक है ही, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन भी काफी खतरनाक हो सकता है। दरअसल, इस सिलसिले में हाल ही सामने आई स्टडी में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इस अध्ययन के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

बच्चे के दिमाग पर पड़ता है बुरा असर
एमआरआई के इस अध्ययन में यहा सामने आया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान कम से मध्यम किसी भी मात्रा में शराब का सेवन करने से बच्चे के मस्तिष्क की संरचना बदल सकती है। इतना ही नहीं इसके सेवन से बच्चे के मस्तिष्क का विकास भी बाधित हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन करने से बच्चे को फेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम नामक विकार हो सकता है। इस विकार के साथ जन्मे बच्चों में सीखने की अक्षमता, व्यवहार संबंधी समस्याएं या बोलने में देरी जैसी दिक्कतें देखने को मिल सकती हैं। जानते हैं फेटल अल्कोहल सिंड्रोम के लक्षण और कारण के बारे में-
क्यों होता है फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम
आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को शराब न पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई बाद कुछ महिलाएं गर्भावस्था में शराब का सेवन करती हैं, जो प्लेसेंटा के जरिए गर्भ तक पहुंच जाता है। पूर्ण विकसित न होने की वजह से गर्भ में अल्कोहल को पचान की क्षमता नहीं होती, जिससे अल्कोहल वहीं जमा हो जाता है, जो बच्चे के विकास को प्रभावित करता और बच्चे के दिमाग पर बुरा असर डालता है। इसी स्थिति को फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम ( एफएएस) कहा जाता है। एफएएस की वजह से होने वाली समस्याओं को बाद में ठीक भी नहीं किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में कितनी शराब पीना सुरक्षित है, इसकी कोई तय मात्रा नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था में शराब का सेवन करती हैं, तो इससे आपके होने वाले बच्चे में फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम होनें की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप इस दौरान शराब का सेवन करने से परहेज करें।
फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के लक्षण
शारीरिक समस्याएं
फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के साथ जन्में बच्चों में कई तरह की शारीरिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसमें वजन कम होना, धीमा विकास आदि शामिल है। इसके अलावा बच्चे के चेहरे में भी कई तरह की समस्याएं नजर आती हैं। जैसे आंखे छोटी होना, नाक ऊपर उठी होना, ऊपरी होठ पतला होना, नाक और ऊपरी होठों के बीच पतली त्वचा का होना आदि। ऐसे बच्चों के दिमाग का आकार भी छोटा होता है।
शिक्षा से जुड़ी समस्याएं
फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम की वजह से जन्म के बाद बच्चों में पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। ऐसे बच्चों में सीखने की क्षमता कम होती है। इसके अलावा वह स्कूल पढ़ाई को समझने में असमर्थ और सीखने में पीछे रहते हैं।
सामाजिक और व्यावहारिक समस्याएं
इस सिंड्रोम के शिकार बच्चों में कई सामाजिक समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। ऐसे बच्चे आवेग रोकने में असमर्थ और एक जगह ध्यान लगाना उनके लिए कठिन होता है।
न्युरोलॉजिकल समस्याएं
फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों को कई न्युरोलॉजिकल समस्याएं भी हो सकती हैं। इन बच्चों के सिर का आकार सामान्य से छोटा (माईक्रोसेफाली) होता है। साथ ही इनमें स्मरणशक्ती और एकाग्रता की भी कमी होती है। कई बार ऐसे बच्चों को दौरे भी पड़ सकते हैं।
जन्म दोष
फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम के साथ जन्म लेने वाले बच्चों में कई तरह के जन्म दोष भी पाएं जाते हैं। इन दोषों में दिल की बीमारियां, हड्डियों की समस्याएं और किडनी की समस्याएं आदि शामिल हैं। इसके अलावा कई में तो सुनने और देखने की क्षमता में भी कमी हो सकती है।
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