हीमोफीलिया एक रेयर ब्लड डिसऑर्डर है. अगर किसी व्यक्ति को हीमोफीलिया है तो किसी छोटी-मोटी चोट में भी उसको लंबे समय तक ब्लीडिंग हो सकती है. आमतौर पर छोटे-मोटे कट या चोट में दिक्कत नहीं होती है और जल्द ही ब्लड क्लॉट बन जाता है, जिसके कारण खून बहना बंद हो जाता है. अगर हीमोफीलिया की स्थिति गंभीर है तो छोटे-मोटे कट भी आपके लिए खतरनाक हो सकते हैं, क्योंकि इनमें आपका काफी ब्लड बह सकता है. विशेषतौर पर घुटने, एड़ी और एलबो से आपका बहुत अधिक रक्त बह सकता है. इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से आपके अंदरूनी अंगों और टिश्यू के साथ ही आपकी जिंदगी के लिए भी खतरनाक हो सकती है.
हीमोफीलिया के लक्षणों में कई चीजें हो सकती हैं. अगर क्लॉटिंग फैक्टर लेवल में हल्की कमी है तो आपको सिर्फ सर्जरी और ट्रॉमा के दौरान ही ब्लीडिंग ज्यादा होगी. अगर कमी ज्यादा है तो बिना किसी वजह के भी आपके शरीर से रक्त बह सकता है. हीमोफीलिया के कुछ आम लक्षण ये हैं –
किसी चोट या कट से बहुत ज्यादा खून बहना.
किसी सर्जरी या दांतों के इलाज के दौरान अतिरिक्त खून बहना.
शरीर पर लंबे और गहरे नील पड़ना
वैक्सीन लगने पर भी खून का अनियंत्रित बहाव होना.
शरीर के जोड़ों में दर्द, सूजन और ठोसपन आना.
मल-मूत्र (Urine or Stool) में खून आना
बिना किसी कारण नाक से खून बहना
छोटे बच्चे अगर बिना किसी कारण चिड़चिड़े हो रहे हैं तो यह भी हीमोफीलिया का लक्षण है.
अगर दिमाग में ब्लीडिंग हो तो क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति को हीमोफीलिया का गंभीर समस्या होती है तो उसके दिमाग में भी ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसे में व्यक्ति के सिर पर एक बड़ा से गुलमा (बंप) जैसा निकल आता है. ऐसा बहुत कम ही होता है, लेकिन जिनमें ऐसी समस्या होती है, उनमें यह बहुत ही घातक हो सकता है. इसके कुछ लक्षण हम यहां बता रहे हैं.
बहुत ज्यादा और लंबे समय तक सिरदर्द
बार-बार उल्टी होना
नींद न आना या सुस्ती रहना
डबल विजन यानी हर चीज दो-दो दिखना
अचानक कमजोरी महसूस होना
दौरे पड़ना
हीमोफीलिया के कारण – Causes of Hemophilia
जब किसी व्यक्ति के शरीर से खून बहने लगता है तो हमारा शरीर इस रक्त स्राव को रोकने में जुट जाता है. हमारा शरीर मौजूद सभी ब्लड सेल को वहां भेजकर क्लॉट बनाने की कोशिश करता है, ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सके. क्लॉटिंग फैक्टर्स हमारे रक्त में मौजूद वो प्रोटीन होते हैं, जो प्लेटलेट्स के साथ मिलकर क्लॉट बनाते हैं. जब कोई क्लॉटिंग फैक्टर गायब होता है या उसका स्तर कम होता है तो इस स्थिति को हीमोफीलिया कहा जाता है. गूगल पर लोग अक्सर यह प्रश्न पूछते हैं कि हीमोफीलिया रोग किसकी कमी के कारण होता है? तो इसका सिम्पल सा उत्तर है फैक्टर्स की कमी की वजह से होता है.
कॉग्निटल हीमोफीलिया मतलब जब किसी व्यक्ति का जन्म ही इस डिसऑर्डर के साथ होता है तो उसे कॉग्निटल हीमोफीलिया कहा जाता है. इसे किसी खास क्लॉटिंग फैक्टर का स्तर कम होने पर पहचाना जाता है. सबसे ज्यादा पाने वाला हीमोफीलिया-ए में फैक्टर 8 के स्तर में कमी आ जाती है. इसके अलावा दूसरा सबसे आम हीमोफीलिया-बी है, जो फैक्टर 9 के स्तर में कमी की वजह से होता है.
एक्वायर्ड हीमोफीलिया कुछ लोगों को बाद में हीमोफीलिया हो जाता है. जबकि उनके परिवार में इस तरह के डिसऑर्डर का कोई इतिहास नहीं होता. इसे एक्वायर्ड हीमोफीलिया कहा जाता है. यह समस्या तब होती है, जब किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ही क्लॉटिंग फैक्टर 8-9 पर हमला कर देता है. यह निम्न स्थितियों पर निर्भर करता है.
गर्भावस्था (Pregnancy)
ऑटोइम्यून कंडीशन
कैंसर (Cancer)
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis)
दवाओं का रिएक्शन (Drug reactions)
हीमोफीलिया का इलाज बताएं – Treatment of Hemophilia
गंभीर हीमोफीलिया की स्थिति में उसका इलाज किया जाता है. व्यक्ति की नस में सुई की मदद से एक ट्यूब लकाकर क्लॉटिंग फैक्टर को बदला जाता है. जब ब्लीडिंग हो रही हो तो उसके इलाज के लिए इस रिप्लेसमेंट थेरेपी को किया जा सकता है. ब्लीडिंग एपीसोड न हों, भी भविष्य में ऐसा होने से रोकने के लिए घर पर नियमित तौर पर इस तरह की रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जा सकती है. कुछ लोगों को लगातार रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है. रिप्लेसमेंट क्लॉटिंग फैक्टर को दान दिए गए ब्लड से निकाला जा सकता है. क्लॉटिंग फैक्टर को लैब में भी आर्टिफिशियली बनाया जाता है इसे रिकॉम्बिनेंट कहा जाता है.
इसके अलावा कुछ अन्य थेरेपी की मदद से भी हीमोफीलिया का इलाज किया जाता है –
डेस्मोप्रेसिन
इमिसिजुमैब (हेसलिब्रा)
क्लॉट-प्रिजर्विंग मेडिकेशन
फाइब्रिन सीलैंट्स
फिजिकल थेरेपी
इसके अलावा माइनर कट के लिए फर्स्ट एड