Guava Gardening : बाजार से अमरूद लाकर खाना तो सभी को पसंद है, लेकिन क्या आपने कभी कल्पना की है कि अपने घर पर ही ताजा अमरूद उगाकर खाना कितना मजेदार होगा? जी हाँ, अब आप यह सपना भी पूरा कर सकते हैं। अमरूद को अक्सर एक बड़े पेड़ के रूप में जाना जाता है, जिसके लिए बगीचे में जगह की आवश्यकता होती है। लेकिन अब, आप उन्नत किस्मों और उचित देखभाल के साथ, गमले में भी अमरूद का पौधा उगा सकते हैं।
यह निश्चित रूप से थोड़ा अधिक धैर्य और प्रयास मांगता है, लेकिन परिणाम निश्चित रूप से इसके लायक होंगे। कल्पना करें, अपने हाथों से उगाए गए मीठे और रसदार अमरूद का स्वाद! घर में गमले में अमरूद उगाना, न केवल आपको ताजे फल प्रदान करेगा, बल्कि आपके घर को भी सजाएगा और आपको प्रकृति के करीब लाएगा।
किस मौसम में लगाना चाहिए अमरुद का पौधा
अमरूद, मीठे और रसदार स्वाद वाला यह फल, साल भर का आनंद लेने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। आप इसे अपने घर के गमले में भी उगा सकते हैं। अमरूद को लगाने का सबसे अच्छा समय बरसात का मौसम (जून से सितंबर) होता है। इस मौसम में पर्याप्त नमी और धूप मिलने से पौधे का विकास तेज़ी से होता है। बीज या पौधे से आप अमरूद उगा सकते हैं। यदि आप बीज से उगा रहे हैं, तो थोड़ा धैर्य रखें क्योंकि इसमें फल लगने में 3-4 साल लग सकते हैं। गमले में अमरूद उगाने के लिए, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी, धूप वाली जगह और नियमित पानी देना आवश्यक है। थोड़ी देखभाल और प्यार से, आप अपने घर में ही ताजे और स्वादिष्ट अमरूद का आनंद ले सकते हैं।
अमरूद का पौधा उगाने के लिए सामग्री
अमरूद का पौधा
गमला
मिट्टी
खाद
पानी
कैसे लगाएं अमरुद का पौधा आप नर्सरी से तैयार पौधा खरीद सकते हैं या बीज से अपनाPlant grown सकते हैं। यदि आप बीज से पौधा उगा रहे हैं, तो ताजे और अच्छे अमरूद के बीजों का चयन करें। बीजों को रात भर पानी में भिगोकर रखें और फिर उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में बोएं। 12-15 इंच गहरा और चौड़ा गमला चुनें। गमले में जल निकासी छेद होना चाहिए। आप प्लास्टिक या मिट्टी के गमले का उपयोग कर सकते हैं। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें। आप बगीचे की मिट्टी, रेत और खाद का मिश्रण बना सकते हैं। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद होना चाहिए। नियमित विकास के लिए खाद या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें। आप हर 2-3 महीने में खाद डाल सकते हैं। Regularरूप से पानी दें, मिट्टी को सूखने न दें। गर्मियों में, दिन में दो बार पानी देना आवश्यक हो सकता है। सर्दियों में, पानी देने की मात्रा कम करें।