इम्यूनिटी बनाने के लिए करें यह प्रयास, जाने महामारी के दौर में कैसे बचे

एक सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के दौरान शहरी लोग ज्यादा जागरुक हो गए हैं.

Update: 2020-11-29 10:09 GMT

योगा 

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| एक सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के दौरान शहरी लोग ज्यादा जागरुक हो गए हैं. 78 फीसद व्यस्क 'इम्यूनिटी बनाने के लिए अधिक कोशिश' करते हुए पाए गए. सर्वे में 22-65 साल की उम्र के 5 हजार लोगों को शामिल किया गया था. मोटापा विरोधी दिवस मनाने के लिए किए गए सर्वे में लोगों से महामारी से पड़नेवाले असर पर सवाल पूछे गए. महामारी की वजह से उत्पन्न संपूर्ण स्वास्थ्य और खास कर मोटापे से संबंधित सर्वे के मुख्य प्रश्न रहे.

महामारी में इम्यूनिटी बनाने के लिए अधिक कोशिश

सर्वे नतीजों के मुताबिक, महामारी में पिछले आठ महीनों के दौरान पूरे देश भर में सक्रिय स्वास्थ्य प्रबंधन के प्रति व्यवहार में उग्र परिवर्तन आया है. 35 फीसद लोगों ने अपनी डाइट में बदलाव लाया है. 34 फीसद ने फिटनेस या योगा क्लास में नियमित शामिल होकर इम्यूनिटी बढ़ाने में विश्वास किया. ध्यान देने की बात है कि 82 फीसद लोगों ने खुद से स्वास्थ्य के उपाय करने के बजाए पेशावराना मार्गदर्शन लेने को प्राथमिकता दी. उनका कहना है कि जब तक सुरक्षित वैक्सीन नहीं आ जाती है, उस वक्त तक किसी पेशेवर की सलाह से फिट रहने के उपाय किए जाएंगे.

सर्वे के डेटा में दूसरा मुख्य बिंदू ये भी सामने आया कि 51 फीसद शहरी व्यस्कों ने अपने स्वास्थ्य और वजन प्रबंधन की जरूरतों के लिए पेशावर मार्गदर्शन को प्राथमिकता दी. 95 फीसद लोगों ने उस वक्त तक पेशावर मार्गदर्शन हासिल नहीं करने की इच्छा जताई जब तक कि उन्हें वेल्नेस सेंटरों पर सुरक्षा और स्वच्छता के सबसे ऊंचे मानक न मिल जाएं.

सर्वे के नतीजे में 78 फीसद शहरी व्यस्कों का खुलासा

सर्वे के दौरान पाया गया 60 फीसद लोगों ने सुरक्षा और स्वच्छता के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने पर 15-40 फीसद तक फ्रीमियम अदा करने की इच्छा जताई. अतिरिक्त 26 फीसद ने ऐसे वेल्नेस सेंटरों को प्राथमिकता देने की बात कही जहां डॉक्टर समेत दक्ष पेशेवर हों. हर साल 26 नवंबर को मोटापा विरोधी दिवस पर कार्यक्रम किए जाते हैं.

VLCC ग्रुप की संस्थापिका वंदना लूथरा ने बताया, "दुनिया की सभी जीवित प्रजाति अपनी जिंदगी का सबसे खराब स्वास्थ्य समस्या देख रही हैं. मैंने हमेशा महसूस किया है कि एक शख्स अपनी भलाई का उसी वक्त जिम्मेदार हो सकता है जब उसे मालूम हो कि कैसे स्वस्थ जीवन शैली गुजारना है. इससे हमें 2001 में सालाना मोटापा रोधी दिवस की मुहिम लॉन्च करने के लिए प्रेरणा मिली."


Tags:    

Similar News

-->