Treval: वास्तुकला में प्रसिद्ध हैं ये भारतीय स्मारक बनती हैं खूबसूरती

Update: 2024-06-01 10:47 GMT
Lifestyle: भारत एक विशाल देश हैं जहां के हर कोने-कोने में आपको संस्कृति और कला देखने को मिल जाएगी। मुग़ल काल से लेकर प्राचीन काल के साक्ष्य यहां मिले हैं। भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपने अनूठे वास्तु के चलते हर साल देश दुनिया के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। यदि आप भारत में स्थित अलग-अलग स्मारकों पर गौर करें तो एक बात जो और सामने आती है वो यह है इन इमारतों की शैली, जिनमें अलग-अलग सभ्यताओं और संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है। ऐसे में भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलती हैं जो अपनी वास्तुकला के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे ही स्मारकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती हैं। आइये जानते हैं इन स्मारकों के बारे में...
हवा महल
राजस्थान का नाम सुनते ही लोगो के मन में हवा महल की तस्वीर बन जाती है। हवा महल राजस्थान की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गुलाबी शहर का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल है इसका अर्थ है 'हवाओं का महल'। इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इसमें 950 से भी ज्यादा खिड़कियां है। यह महल लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बना हुआ है और यह महल मधुमखियों के छत्ते की तरह से बनाया गया है।
ताजमहल
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित ताजमहल दुनिया के सात आश्चर्यों की सूची में पहले स्थान पर है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। यहीं मुमताज महल का मकबरा भी है। ताजमहल भारतीय, पर्सियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरु हुआ था। 21 साल तक इसमें हजारों शिल्पकार, कारीगर और संगतराशों ने काम किया और 1653 में ताजमहल बनकर तैयार हुआ। यहां स्थित मुमताज महल का मकबरा ताजमहल का मुख्य आकर्षण है। सफेद संगमरमर से बना यह मकबरा वर्गाकार नींव पर आधारित है। यह मेहराबरूपी गुंबद के नीचे है और यहां एक वक्राकार गेट के जरिए पहुंचा जा सकता है।
गेटवे ऑफ इंडिया
गेटवे ऑफ इंडिया मुबंई में ताज होटल के सामने स्थित एक द्वार है। हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए गेटवे ऑफ इंडिया की आधारशिला मुंबई के राज्यपाल द्वारा 31 मार्च 1913 को रखी थी। दरअसल, इस स्मारक को किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के आगमन के लिए बनवाया गया था। 1924 में यह बनकर पूरा हुआ था। गेटवे ऑफ इंडिया 4 दिसंबर 1924 को वायसराय द्वारा खोला गया।
लाल किला
इस किले को 17वीं सदी के मध्य के दौरान स्थापित किया गया था। किले का निर्माण उस्ताद अहमद द्वारा किया गया था, इस किले का निर्माण 1639 में शुरू हुआ जो 1648 तक जारी रहा। हालांकि, किले का अतिरिक्त काम 19 वीं सदी के मध्य में शुरू किया गया। यह विशाल किला लाल पत्थर से बनाया गया है जो दुनिया के भव्य महलों में से एक है। यह किला 2.41 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, और दो किलों का मुख्य द्वार लाहौर गेट और दिल्ली गेट है। लाहौर गेट चट्टा चौक के पास है जो शाही परिवारों के लिए बनवाया गया था।
मैसूर महल
इस महल में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। शाम के समय इस महल में लाइट जलाई जाती है जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। इस महल को अंबा पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांचमंज़िल का टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है। इसका निर्माण 14वीं सदी में वाडियार राजाओं ने करवाया था। यह वाडियार महाराजाओं का निवास स्थान हुआ करता था। मैसूर पैलेस दविड़, पूर्वी और रोमन कला का अद्भुत संगम है।
विक्टोरिया मेमोरियल
कोलकाता के सबसे मशहूर दर्शनीय स्थल में से एक है विक्टोरिया मेमोरियल, जो यूरोपीय वास्तुकला और मुगल रूपों का एक अनूठा मिश्रण है। विक्टोरिया मेमोरियल भारत में अंग्रेजी राज को दी गई एक श्रद्धांजलि है, यह भारत के सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। 64 एकड़ में फैली हुई यह सफेद संगमरमर से बनी गुंबददार संरचना है। इसे आम जनता के लिए 1921 में खोला गया था, इसमें शाही परिवार की कुछ तस्वीरें भी हैं। इन बेशकीमती प्रदर्शन के अलावा पर्यटक विक्टोरिया मेमोरियल की ख़ूबसूरत संरचना को देखने यहां आते हैं।
साँची स्तूप
साँची स्तूप एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो भोपाल शहर से लगभग 46 किमी दूर मध्यप्रदेश के साँची गाँव में स्थित है। यहाँ तीन स्तूप हैं और ये देश के सर्वाधिक संरक्षित स्तूपों में से एक हैं। पहले साँची स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी में हुआ था। इसकी उंचाई लगभग 16.4 मीटर है और इसका व्यास 36.5 मीटर है। दूसरे स्तूप का निर्माण दूसरी शताब्दी में हुआ था और यह एक कृत्रिम मंच के ऊपर एक पहाड़ी की सीमा पर स्थित है। तीसरा साँची स्तूप पहले साँची स्तूप के पास स्थित है और इसमें अर्धवृत्ताकार गुंबद के ऊपर एक मुकुट है जिसे एक बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। साँची के सभी तीन स्तूप वर्ल्ड हेरिटेज साईट के रूप में माने जाते हैं और वर्तमान में यूनेस्को के अंतर्गत आते हैं।
स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर सिखों का एक केंद्रीय धार्मिक स्थान है। स्वर्ण मंदिर सभी धर्मों की समानता का प्रतीक भी है। हर कोई, चाहे वह किसी भी जाति, पंथ या नस्ल का क्यों न हो, बिना किसी रोक टोक के आ सकता है। यह अमृतसर में स्थित है। यह मंदिर लगभग 500 किलो सोने से सजा हुआ है। इस मंदिर में लगभग रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को 19 शताब्दी में पूरी तरह नष्ट कर दिया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया और सोने की परत से सजाया था। इसी वजह से इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।
Tags:    

Similar News

-->