जापान में मौजूद है यह अनोखा डिवोर्स मंदिर, जानिए क्या है खासियत
जानिए क्या है खासियत
तलाक का अनुभव यकीनन बेहद ही दर्दभरा होता है। कोई भी कपल कभी नहीं चाहता कि उनके बीच तलाक हो। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि कपल्स की आपस में नहीं बनती तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं। डिवोर्स का नाम लेते ही अक्सर कोर्ट की छवि मन में उभरती है। लेकिन जापान इस मामले में काफी अलग है। वहां पर जब लोग तलाक की बात करते हैं तो उन्हें डिवोर्स टेम्पल याद आता है।
जी हां, सुनने में आपको शायद अजीब लगे, लेकिन जापान में एक डिवोर्स टेम्पल है। यह अपने आप में काफी अलग मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर उस समय बनाया गया था, जब महिलाओं के पास तलाक लेने का अधिकार नहीं था। उस समय यह मंदिर अपने रिश्ते से परेशान महिलाओं के लिए एक दूसरे घर के समान था। आज भी इस मंदिर की महत्ता बहुत अधिक है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको जापान में मौजूद इस डिवोर्स टेम्पल के बारे में बता रहे हैं-
600 साल पुराना है मंदिर
यह मंदिर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम् है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर करीबन 600 साल पुराना है। इस मंदिर का वास्तविक नाम मतसुगाओका टोकेई जी है, लेकिन जापान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोग इसे डिवोर्स टेम्पल कहकर ही पुकारते हैं। मंदिर जापान के कनागवा प्रांत में कामाकुर शहर में स्थित है। अपने मंदिर की खासियत के कारण ही इसे डिवोर्स टेम्पल कहा जाता है।
पीड़ित महिलाओं के लिए बना दूसरा घर
डिवोर्स टेम्पल वास्तव में एक बौद्ध मंदिर है, जिसकी स्थापना बौद्ध नन काकुसन शिदो-नी द्वारा की गई थी। यह मंदिर साल 1285 में बनवाया था। यह वह दौर था, जब जापान में महिलाओं के पास तलाक का अधिकार नहीं होता था। केवल पुरूष ही महिला को तलाक दे सकता है। ऐसे में महिलाओं के पास प्रताड़ना सहने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं था। लेकिन जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तो अपनी शादी से परेशान महिलाएं यहां पर आकर रहने लगीं। उनके लिए यह दूसरे घर से कम नहीं था।
बदली महिलाओं की स्थिति
डिवोर्स मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि इस मंदिर के कारण ना केवल महिलाओं को रहने के लिए आश्रय मिला, बल्कि इसके कारण उनकी स्थिति भी बदलने लगी। दरअसल, समय के साथ इसे एक संस्था के रूप में देखा जाने लगा, जिसकी मदद से महिलाएं आधिकारिक रूप से अपने पति से अलग हो सकती थी।
दरअसल, यह मंदिर महिलाओं को तलाक का सर्टिफिकेट देता था और इस सर्टिफिकेट को सूफुकु-जी के नाम से जाना जाता था। बाद में, साल 1873 में जब जापान में तलाक कानून लागू हुआ, तब से इस मंदिर द्वारा महिलाओं को तलाक देना बंद कर दिया गया। इस तरह महिलाओं को एक बेहतर जीवन जीने में मदद करने में इस मंदिर का विशेष योगदान रहा।
बेहद खूबसूरत है यह मंदिर
यह मंदिर जितना खास है, उतना ही खूबसूरत भी है। इस मंदिर में एक मेन हॉल है, जो हमेशा ही आगंतुकों के लिए खुला रहता है। इस मंदिर की वास्तुकला बस देखते ही बनती है। इस मंदिर के चारों ओर खूबसूरत बगीचे हैं, जो इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ाते हैं। 1923 में ग्रेट कांटो भूकंप के कारण इस मंदिर को काफी नुकसान हुआ था। लेकिन बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया, जिसमें करीबन 10 साल का समय लग गया।
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