हरे मटर के अत्यधिक सेवन से हो सकते ये साइड इफेक्ट
हरी मटर उन सब्जियों में शुमार है जिसका सेवन सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरी मटर उन सब्जियों में शुमार है जिसका सेवन सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है। हरी मटर लेग्युमिनोसी परिवार से संबंध रखती है। इस परिवार से दाल, बीन्स, मूंगफली और चिकपीस भी आती हैं। हरी मटर के अंदर फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, ई, डी, सी, के और इसमें कोलीन, पैंटोथैनिक एसिड, राइबोफ्लेविन जैसे यौगिक भी पाए जाते हैं, जो इसे सब्जियों में एक खास जगह देते हैं। साथ ही इसमें कार्ब्स भी अधिक मात्रा में होता है।
मटर के छिलके को उतारने के कुछ समय बाद इसका स्वाद और पोषक तत्वों में भी बदलाव होने लगता है। इसलिए अक्सर मटर ताजी खान की ही सलाह दी जाती है। लेकिन इन सभी गुणों के अलावा मटर के अधिक सेवन से कुछ भयंकर साइड इफेक्ट भी देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं इन साइड इफेक्ट के बारे में।
शरीर में ज्यादा हो सकता है विटामिन K
विटामिन K के जरिए हड्डियां तो स्वस्थ रहती ही है। साथ ही यह कैंसर से भी बचाए रखने में सहायता करती है। लेकिन अगर अधिक मात्रा में विटामिन के शरीर में मौजूद हो तो यह न केवल खून को पतला करता है। बल्कि प्लेटलेट्स को भी कम कर देता है। इसके अलावा घाव भरने और टिशू के जल्दी रिपेयर होने में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। साथ ही ऐसे लोग जिनका पेट संवेदनशील है, पेट में अल्सर है, रक्त के थक्के बनते हैं, थ्रोम्बोफ्लिबिटिस जैसी दिक्कतें हैं उन लोगों के लिए भी मटर का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
पैदा हो सकती है डायरिया की स्थिति
हरी मटर के सेवन से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और डायरिया की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में अगर हरी मटर का सेवन ब्राउन राइस और सोया जैसे उत्पादों के साथ किया जाए तो इससे पेट की शक्ति बेहतर हो जाती है, जिससे मटर के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। साथ ही अगर आप मटर के इस तरह के दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं तो डिब्बाबंद या फ्रीज मटर का सेवन कम करें या ना करें। क्योंकि कई बार स्वाद बेहतर करने के लिए इनमें मिलावट की जाती है जो इन समस्याओं को जन्म दे सकती है।
गैस बना सकती है
हरी मटर को एक हाई कार्ब्स डाइट में भी गिना जाता है। साथ ही इसके अंदर शुगर की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। जो आसानी से पचाई नहीं जा सकती। ऐसे में जब भी आप मटर का अधिक सेवन करते हैं तो यह आसानी से नहीं पचती, जिसकी वजह से पेट फूलना, सूजन और गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यही नहीं इसे अच्छी तरह पकाने के बाद भी मटर में यह खामियां रह ही जाती हैं। इसलिए मटर का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
वजन बढ़ा सकती है
यूं तो हरी मटर के कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जानी जाती हैं। आपको बता दें कि फाइबर आपके मल त्यागने की क्रिया को आसान बनाता है और आपको असमय खाने से बचाता है। लेकिन हरी मटर में मौजूद प्रोटीन और कार्ब्स आपके वजन और मोटापे में भी इजाफा कर सकता है। ऐसे में मोटापे और बढ़ते वजन की समस्या से बचे रहने के लिए जरूरी है कि हरी मटर को ना केवल अच्छी तरह पकाया जाए। बल्कि पकाने से पहले इसे कुछ देर के लिए भिगोकर भी रखा जाए।
पैदा हो सकती है गठिया की समस्या
हरी मटर के अंदर प्रोटीन, अमीनो एसिड, फाइबर और विटामिन डी पाया जाता है जो हड्डियों के लिए लाभदायक होता है। लेकिन जब हरी मटर का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है तो इसकी वजह से गाउट की समस्या पैदा हो जाती है जिसमें जोड़ों में भयंकर दर्द होने लगता है।
यही स्थिति आगे चलकर अर्थराइटिस की शक्ल ले लेती है। आपको बता दें कि मटर के अधिक सेवन से शरीर में यूरिक एसिड का अधिक प्रवाह होने लगता है, जिसे किडनी मूत्राशय के जरिए बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है। यही स्थिति दाल और बीन्स के अधिक सेवन से भी होने लगती है। ऐसे में जब भी मटर का सेवन करें तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले।
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हरी मटर के एंटी न्यूट्रीएंट
आपको बता दें कि मटर के अंदर फाइटिक एसिड और लेक्टिन्स जैसे एंटी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। यह शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषित होने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। जिसकी वजह से शरीर में जिंक, आयरन, और मैग्नीशियम की कमी हो सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति कुपोषित भी हो सकता है। साथ ही यह आंत के अच्छे बैक्टीरिया के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।
इन एंटी न्यूट्रिएंट्स से बचने के लिए जरूरी है कि आप इसे अच्छी तरह पकाएं या फिर हरी मटर को खाने से पहले कुछ देर पानी में भिगोकर रखे। हालांकि यह एंटी न्यूट्रीएंट मटर के अंदर थोड़े कम होते हैं। बजाय दूसरे लेग्युमिनोसी के उत्पादों में यह ज्यादा मात्रा में होते हैं। लेकिन मटर का सेवन भी सही तरह और सही मात्रा में ही करना चाहिए।