ये लोग न करें तुलसी के पत्तों का सेवन

जो व्यक्ति रक्त को पतला करने वाली दवाइयों को खा रहे हैं उनको तुलसी का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए

Update: 2023-01-31 13:52 GMT
तुलसी के पौधे को हिन्दू धर्म में बेहद ही पवित्र पौधा माना गया है। सभी के घरों में तुसली की पूजा की जाती है। ऐसा सिर्फ आध्यात्मिक वजहों से ही नहीं बल्कि आयुर्वेद की दृष्टि से भी तुलसी का पौधा बहुत ही फायदेमंद होता है। तुसली के पौधे को औषधि के रूप में अमृत होता है। इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक दवाइयां बनाने में होता है। अगर तुलसी के पत्तों का रोजाना सेवन किया जाए तो इससे सर्दी, जुकाम, खांसी, त्वचा से संबंधित बीमारी या सर दर्द की समस्या दूर हो जाती है। आज आपको हम बताने जा रहे हैं कि तुलसी के पत्तों का ज्यादा मात्रा में सेवन कर लिया जाये तो ये शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। यदि आप जड़ी-बूटी का सेवन निश्चित मात्रा में करते हैं तो इससे आपको लाभ होगा मगर आवश्यकता से अधिक सेवन करने से शरीर को नुकसान भी हो सकता है।
मधुमेह के मरीज के लिए
जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें तुलसी का पत्ता नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप डायबिटीज के मरीज है और दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो तुलसी के पत्ते खाने से बचे क्योंकि इसकी वजह से ब्लड शुगर में अधिक कमी आने की संभावना हो सकती है।
प्रेग्नेंट महिलाएं न करें सेवन
गर्भवती महिला को तुलसी के पत्तों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि तुलसी के पत्तों में यूजेनॉल तत्व मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से गर्भाशय में संकुचन और मासिक धर्म शुरू होने की वजह बन सकता है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इससे मिसकैरेज की संभावना ज्यादा हो जाती है।
हाइपोथायरायडिज्म के मरीज न करें सेवन
अगर आपको भी हाइपोथायरायडिज्म है तो तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। इसकी वजह से थायरोक्सिन का लेवल बहुत कम हो जाता है।
ब्लड पतला हो सकता है
जो व्यक्ति रक्त को पतला करने वाली दवाइयों को खा रहे हैं उनको तुलसी का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए क्योंकि दवाइयों के साथ तुलसी के पत्तों का सेवन करने से रक्त पतला करने की क्षमता ज्यादा हो जाती है।
सर्जरी कराने वाले ना करें सेवन
अगर किसी वजह से आपकी सर्जरी होने वाली तो तुलसी के पत्तों का सेवन बिल्कुल भी न करें क्योंकि तुलसी के पत्तों का सेवन करने से ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का जमने की प्रक्रिया काफी धीमी हो जाती है जिसके कारण सर्जरी के दौरान या फिर सर्जरी के बाद अधिक रक्त बहने का खतरा बन जाता है।
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