बच्चों की मेंटल हेल्थ बिगाड़ती हैं पेरेंट्स की ये आदतें

Update: 2024-05-15 04:35 GMT
लाइफस्टाइल : आजकल की पेरेंटिंग (Parenting Tips) थोड़ी कठिन होती जा रही है, लेकिन बढ़ते चैलेंज के अनुसार आजकल पेरेंटिंग कोच और वर्कशॉप भी होने लगे हैं। मॉडर्न एरा की पेरेंटिंग में शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास पर भी बराबर जोर दिया जाता है, क्योंकि ट्रेडिशनल पेरेंटिंग में मानसिक पहलू की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता था। हालांकि, अब ये धारणा बदली है और लोग मानसिक विकास को भी बहुत महत्व देने लगे हैं। फिर भी कुछ पेरेंट्स इस पहलू से अनजान हैं और वे अनजाने में ही कुछ ऐसा कर देते हैं जिससे उनके बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। आइए जानते हैं पेरेंट्स की वे 5 आदतें जिससे प्रभावित होता है बच्चा का मेंटल हेल्थ-
बच्चे की उपलब्धियों को सेलिब्रेट न करना
बच्चे अच्छे मार्क्स लेकर आएं, फुटबॉल मैच जीत कर आएं या फिर एक छोटी सी ड्राइंग बना कर आपको दिखाएं, ये जरूरी है कि आप उनकी हर छोटी-बड़ी उपलब्धियों की तारीफ करें। कुछ लोगों का मानना है कि इससे बच्चा कमजोर होता है और बुराई या फेल होना बर्दाश्त नहीं कर पाता है, लेकिन यहां इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि बच्चे की हार पर भी आप उसे पैंपर करें और बताएं कि ये जीवन का हिस्सा है, जो कि सभी को फेस करना पड़ता है। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो बच्चे मानसिक रूप से तनाव में रहेंगे और आगे अच्छा करने की उम्मीद भी खत्म कर लेंगे।
काल्पनिक उम्मीदें न रखें
आप चाहते हैं कि बच्चा पढ़ाई के साथ गेम और डांस जैसी अन्य गतिविधियों में भी अव्वल रहे और जब बच्चा ऐसा नहीं कर पाता है, तो आप अपनी काल्पनिक उम्मीदों का पिटारा उनके सामने खोल कर उन्हें ताने मारते हैं। इससे उनके सेल्फ एस्टीम को नुकसान पहुंचता है और उन्हें लगता है कि वे काबिल नहीं हैं, जिससे उनकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है।
जरूरत से ज्यादा नियम लागू करना
जब बच्चे सुबह उठने से लेकर रात सोने तक एक-एक मिनट पेरेंट्स के रिमोट कंट्रोल से चलता है, तो एक समय के बाद उसे घुटन महसूस होने लगती है। वह हर बात पर आश्रित रहने लगता है और कोई भी काम खुद से करने से डरता है।
टैग देकर बात करना
बच्चे को ये कहना कि तुम लेजी हो, तुमने काम बिगाड़ दिया, तुम कमजोर हो, इस तरह की बातें उनके मन में अपने प्रति ऐसी ही भावना विकसित कर देती है। फिर उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है और वे खुद को कम ही समझने लगते हैं। इसलिए बच्चों को कभी भी इन तह का कोई टैग न दें।
दूसरों से तुलना करना
किसी भी अन्य बच्चे से अपने बच्चे की तुलना उनके मन में जलन की दुर्भावना जगाती है और इस तरह वे सुधरने की जगह और भी बिगड़ते जाते हैं। तुलना करने की जगह इस बात को समझें कि सभी बच्चे अलग हैं और सबकी अलग काबिलियत है। अपने बच्चे की काबिलियत पहचानें और उसे बढ़ावा दें।
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