आयुर्वेद में बताए गए हैं खान-पान के ये पांच नियम, पाचन क्रिया में होगा सुधार
कई बार ऐसा होता है कि हम स्वस्थ रहने के लिए कितने ही उपाय करते हैं लेकिन छोटी-छोटी बातों को इग्नोर कर देते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि डाइट के अलावा कुछ हेल्दी टिप्स का भी ध्यान रखा जाए
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कई बार ऐसा होता है कि हम स्वस्थ रहने के लिए कितने ही उपाय करते हैं लेकिन छोटी-छोटी बातों को इग्नोर कर देते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि डाइट के अलावा कुछ हेल्दी टिप्स का भी ध्यान रखा जाए। आयुर्वेद में खान-पान से जुड़े ऐसे कई नियम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है। आइए, जानते हैं खान-पान से जुड़े पांच नियम।आयुर्वेद में लिखे हुए ये उपाय आपकी मदद कर सकते हैं। आप इन बातों को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना सकते हैं।
स्टीम या हाफ बॉयल करके खाएं सब्जियां
अगर आप सब्जियों को पूरी तरह या ज्यादा गला कर खाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आप उसे बहुत ज्यादा न पकाएं। ऐसा करने से उनके पोषक तत्व कम होते हैं। लेकिन अगर आप उनको कच्चा छोड़ देंगे, तो ये आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। खाना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप सब्जियों को न तो ज्यादा पकाएं न ही उन्हें कच्चा छोड़ें।
कच्चे मसालों को भूनकर और पीसकर करें इस्तेमाल
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खड़े मसालों को तवे पर भूनकर और पीसकर इसका इस्तेमाल करें। खासतौर पर सर्दियों या बरसात के मौसम में अदरक को तवे पर भून कर खा सकते है।
छानकर न करें आटे का इस्तेमाल
गेंहूं में फाइबर होता है। लेकिन इसका ज्यादातर फाइबर ब्राउन वाले भाग में होता है। तो आप जब भी आटा इस्तेमाल करें इस बात का ध्यान रखें कि इसे बिना छाने इस्तेमाल करें। चोकर वाला आटा सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
ठंडा भोजन करने से कमजोर होती है पाचन क्रिया
ठंडा खाना खाने से बचें। यह आपके पाचन को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही इस बात का ध्यान भी रखें कि पूरा पेट भर कर कभी न खाएं। आयुर्वेद के अनुसार भरपेट न खाने से भोजन आसानी से पचता है।
मीठा कम खाएं
आयुर्वेद के अनुसार मीठा कम खाना चाहिए। आप मीठे के विकल्प के तौर पर शहद या गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपको डायबिटीज जैसे रोगों से बचा सकता है।