अर्थराइटिस की हो सकती हैं ये वजहें, जानें उपचार और बचाव

पहले जहां कुछ बीमारियां बढ़ती उम्र के साथ होती थी वहीं अब ये कम उम्र में ही अटैक करने लगी हैं जिनमें से एक अर्थराइटिस है।

Update: 2022-04-04 03:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पहले जहां जोड़ों का दर्द (ज्वॉइंट्स पेन) बुढ़ापे की समस्या मानी जाती थी वहीं पिछले करीब 10 सालों में यह युवा पीढ़ी को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। आंकड़े बताते हैं कि 30 से 35 साल के लोग आसानी से इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। जिसकी एक बड़ी वजह बिगड़ती लाइफस्टाइल है। इससे उनकी मसल्स समय से पहले कमजोर होती जा रही है जिसका नतीजा अर्थराइटिस के रूप में सामने आ रहा है।

बच्चों में होने वाली अर्थराइटिस 'जुवेनाइल अर्थराइटिस' के नाम से जाना जाता है। वहीं, कोरोना पैनेडेमिक की वजह से भी लोगों में अर्थराइटिस की समस्या में इजाफा देखने को मिला है। एक रिसर्च के मुताबिक, पोस्ट कोरोना और प्रोलॉन्ग्ड कोविड केसेस में लोगों को अर्थराइटिस के रिस्क का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, अगर आपको भी जोड़ों का दर्द परेशान कर रहा है तो इसे हल्के में न लें और जितना जल्द हो मेडिकल कंसल्टेशन लें।
कैसे होता है अर्थराइटिस?
- शरीर में कैल्शियम की कमी होने या मसल्स के कमजोर होने पर।
- जोड़ों में जब यूरिक एसिड जमा होने लगता है वो वहां सूजन की समस्या हो जाती है। इससे जोड़ों के टिश्यू नष्ट होने लगते हैं, जिससे उनमें अकड़न और दर्द रहती है। इसे ही अर्थराइटिस का दर्द कहते हैं।
अर्थराइटिस के लक्षण
- जोड़ों में दर्द रहना

- सर्दियों में दर्द बढ़ जाना। दर्द की वजह से मूवमेंट्स में दिक्कत होना।

- सीढ़ियां चढ़ने या उतरने में ज्यादा पेन होना।

- शरीर में थकान और टूटने का एहसास होता है।

दिक्कत हो तो ये तरीके अपनाएं

- लगातार बैठे नहीं रहें, हर 30 से 45 मिनट के बाद उठकर कुछ मिनट टहलें।

- रोजाना तीन से पांच किमी साइकिल चलाएं।

- शुगर के साथ वजन भी कंट्रोल में रखें, रोजाना आधा घंटा टहलें।

- कुर्सी आरामदायक हो और सीधे बैठकर काम करें।

- दर्द निवारक गोली का उपयोग खुद से न करें, डॉक्टर से सलाह-मशविरा के बाद ही इनका सेवन करें।


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