गर्मियों में पेट के लिए अमृत साबित होते हैं ये 10 देसी-विदेशी प्रोबायोटिक्स रिच फूड्स

गर्मियों में पेट के लिए अमृत साबित होते

Update: 2023-06-24 10:09 GMT
गर्मी के मौसम में कम भूख लगना, पाचन ख़राब होना या पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां होना आम हैं। स्वस्थ रहने के लिए पाचन तंत्र को हेल्दी रखना बेहद जरूरी होता है क्योंकि अगर पेट का डाइजेशन सही हो, तो हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। ऐसे में आपका आहार संतुलित होना जरूरी हैं। इसके लिए आप अपने आहार में प्रोबायोटिक फूड को शामिल कर सकते हैं जो एक प्रकार का गुड बैक्टेरिया होता हैं। प्रोबायोटिक को फंक्शनल फूड्स भी कहा जाता है जो शरीर के भीतर मौजूद बैक्टेरिया के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ देसी-विदेशी फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं और गर्मियों में आपको सेहतमंद बनाए रखते हैं। आइये जानते हैं इन आहार के बारे में...
दही प्रोबायोटिक्स और कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। दही को अपने डाइट में शामिल करके आप पाचन तंत्र को मजबूत कर सकते हैं। दही में मौजूद कैल्शियम शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है। दही खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। दही का नियमित सेवन करने से पेट में गैस, अपच और पेट दर्द से भी राहत मिलती है। दही को छाछ, लस्सी और रायता आदि के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
केफिर
जब फर्मेन्टेशन को बढ़ावा देने के लिए दूध में केफिर के दाने डाले जाते हैं, तो केफिर बनता है। केफिर में एक मलाईदार स्थिरता होती है, जो इसे आपकी सुबह की स्मूदी के लिए एक आदर्श सामग्री बनाता है। आप इसका इस्तेमाल पीनट बटर डिप या फिर पास्ता में भी कर सकते हैं। यह अमीनो एसिड ट्रिप्टोफैन से भरपूर होता है, जो हमारे सेरोटोनिन को प्रज्वलित करता है , एक न्यूरोट्रांसमीटर जो हमारे मूड और नींद को प्रभावित करता है।
ढोकला
ढोकला एक स्वादिष्ट प्रोबायोटिक फूड है। ढोकले में फोलिक एसिड, थायमिन, विटामिन के और बायोटिन इत्यादि पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। ढोकला एक प्रोबायोटिक फूड इसलिए है क्योंकि इसके बैटर को फर्मेंट करके इसे बनाया जाता है। ढोकला हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों और वेट लॉस कर रहे लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसको बेसन से बनाया जाता है।
टेम्पेह
यह टोफू के परिवार से ही आता है। इन दोनों का इस्तेमाल मांस की जगह किया जा सकता है। लेकिन टोफू फर्मेन्टेड नहीं होता, जबकि टेम्पेह में पूरे सोयाबीन होते हैं, जो फर्मेन्टेशन से गुज़रते हैं। टेम्पेह में मांस जितने गुण होते हैं। यह प्लांट बेस्ड प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत है।
इडली
इडली एक प्रोबायोटिक फूड है। ये हमारे पेट को हेल्दी रखने में मदद करती है। इडली आसानी से पच जाती है। इसे नाश्ते, स्नैक्स और लंच में खाया जा सकता हैं। ये घर के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सबको बहुत पसंद होती है। इडली को हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोग भी आसानी से खा सकते हैं। इडली का सेवन हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा भी कम करता है।
मीसो
मिसो एक जापानी पेस्ट है, जिसे सोयाबीन से बनाया जाता है। इसे कोजी नामक मोल्ड के साथ फर्मेंट किया जाता है। अन्य सभी फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों की तरह, मिसो एक स्वस्थ आंत को बढ़ावा देता है। यह मैंगनीज, तांबा और जस्ता जैसे पोषक तत्वों का भी एक बहुत अच्छा स्रोत है, जो हमारे ऊर्जा स्तर और मस्तिष्क स्वास्थ्य में मदद कर सकता है।
अचार
अचार अधिकतर घरों में खाया जाता है। इसे नमकीन पानी में फर्मेंटेट करके बनाया जाता है। अचार गुड बैक्टीरिया से भरपूर होता है, जो कि पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। दिन भर में थोड़ा सा अचार शरीर के लिए हेल्दी होता है। लेकिन ध्यान रखें अचार का सेवन रोज करने या ज्यादा करने से बचें क्योंकि इसमें बहुत अधिक सोडियम होता है, जो किडनी और लिवर के लिए सही नहीं होता है। हाई बीपी के मरीज भी अचार को खाने से बचें।
कोम्बुचा
ये वही ट्रेंडी ड्रिंक है जिसे आप इंस्टाग्राम पर दिन-रात देखते हैं। कोम्बुचा में प्रोबायोटिक्स की अत्यधिक मात्रा होती है। यह स्वस्थ पेय हरी और काली चाय के मिश्रण से बनाया गया है, जिसे 
किचमी एक कोरियाई व्यंजन होता है। किमची बनाने के लिए इसमें खमीर को उठाया जाता है, जो कि पेट को हेल्दी रखने में मदद करता है। किमची में मूली, गोभी, सिरका, अदरक और सोया सॉस आदि को भिगोकर खाया जाता है। किचमी खाने में काफी स्वादिष्ट लगता है। ये हमारे पेट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है, जो कि पेट को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
चुकंदर की कांजी
यह फर्मेंटेड पेय पदार्थ है जिसे कुछ संस्कृतियों में चुकंदर क्वास भी कहा जाता है। यह एक अच्छा लिवर टॉनिक और क्लीन्ज़र है। सर्दियों के मौसम में ज्यादातर घरों में चुकंदर की कांजी बनाई जाती है। वहीं जब मौसम बदलने लगता है, तब भी इसे पिया जाता है। ताकि इम्युनिटी को मजबूत बनाया जा सके।
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