भारत की वो तवायफें, जिन्होंने देश की आजादी में लगा दी अपनी जान की बाजी
बीबीघर कांड ने अंग्रेजो को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था।
तवायफ का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक अजीब सी घृणा पैदा होती है। अमूमन लोग ऐसी महिलाओं से थोड़ी दूरी बनाना ही पसंद करते हैं। लेकिन जब देश साल 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लड़ रहा था, तब देश के कई कोने से ऐसी कई तवायफें हुईं, जिन्होंने देश को गुलामों की जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। जब देशवासियों के मन में आजादी पाने की लौ जागृत हुई तो पिछड़े समाज और दलित समुदायों से आने वाली औरतों के साथ-साथ बहुत सी सराय वालियां, तवायफों व नृर्तकियों ने भी देशहित में अपना योगदान दिया। अज़ीज़ुंबाई, गौहर जान, होससैनी कुछ ऐसे ही नाम हैं, जिनका भारत की स्वतंत्रता में अभूतपूर्व योगदान है। हालांकि, आज भले ही इनकी बहादुरी बस किस्सों व किदवंतियों में सिमटकर रह गई हों। तो चलिए इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी ही तवायफों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी बहादुरी और देशभक्ति के जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ था-