ऐसे करें आंखों की देखभाल
स्वास्थ्यकर आहार आवश्यक है ताकि शरीर को ज्यादा से ज्यादा कार्यशीलता
आयु से सम्बंधित मैकुलर डिजनरेशन (एएमडी) और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसे प्रगतिशील रोगों के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं। हालांकि यह उम्रदराज लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है, लेकिन आनुवंशिक सहित अनेक कारणों के
फलस्वरूप इसके लेकिन जल्दी होने की घटनाएं भी सामने आई हैं । भारत में डायबिटीज के मरीजों में से 17.6% से लेकर 28.9% तक लोग डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर) से पीड़ित हैं। डीआर अनियंत्रित डायबिटीज के कारण होता है जो रेटिना की रक्त धमनियों को क्षतिग्रस्त कर देता है। इसके कारण मैकुला में द्रव का रिसाव भी हो सकता है। यह स्थिति डायबिटिक मैकुलर एडिमा (डीएमई) कहलाती है। डायबिटीज के 3 रोगियों में से 1 को डीएमई हो सकता है। चूंकि, शुरुआती चरण में इन रोगों के विशिष्ट लक्षण नहीं दिखते, इसलिए नियमित जांच कराना महत्वपूर्ण है। इससे रोग का जल्द पता चल जाता है और नेत्ररोगों का समय पर उपचार या रोग होने को पूरी तरह रोकने में मदद मिलती है।
सेंटर फॉर साईट ग्रुप ऑफ़ आई हॉस्पिटल्स, दिल्ली के चेयरमैन, मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसलटेंट ऑफ्थैल्मालॉजी, डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा कि, “अपनी प्रैक्टिस के दौरान मुझे 5-7% ऐसे मरीज मिलते हैं जिन्हें पहले से गंभीर रेटिनल डैमेज हो चुका होता है। इसलिए, हमें एकदम शुरुआती चरण में ही आंखों के रोग के संकेतों और लक्षणों को पहचानने और जल्द-से-जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर की मदद लेने की ज़रूरत है। अगर उम्रजनित मैक्युलर डिजनरेशन (आंखों में धब्बेदार क्षरण) या डायबिटिक रेटिनोपैथी (मधुमेह जनित रेटिना की समस्या) का समय रहते उचित इलाज नहीं कराया गया, तो आगे चल कर इनके कारण असाध्य अंधापन हो सकता है। बुजुर्गों और मधुमेह जैसी सहरुगणता (को-मोर्बिडिटी) से पीड़ित लोगों को सामान्य रूप से साल में एक बार अपनी आंखों की जांच करा लेनी चाहिए, क्योंकि इससे शुरुआत में रोग की पहचान और समय रहते इलाज में मदद मिलेगी।”
ऐसे करें आंखों की देखभाल
धूम्रपान बिलकुल नहीं करें!
धूम्रपान (स्मोकिंग) शरीर के अनेक अंगों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है। सिगरेट का धुआं इम्यून सिस्टम को डैमेज करता है और आपको एएमडी या अन्य नेत्ररोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देता है जिसे अन्यथा रोका जा सकता है। सिगरेट के धुएं में मौजूद कुछ ऑक्सीडेंट्स कोशिकाओं में जलन पैदा करते हैं जिसके चलते इम्यून सिस्टम सक्रिय होता है और इस तरह हानिकारक सूजन हो जाती है।
स्क्रीन कम देखें
फोन और कंप्यूटर के अत्यधिक प्रयोग से आपकी आंखें स्क्रीन की ब्लू लाइट के संपर्क में आती हैं जिससे आंखों में सूखापन और थकान से लेकर मायोपिया और एएमडी के अलावा अन्य ढेरों समस्याएं हो सकती हैं। अपनी आंखों को जलीय बनाए रखें और स्क्रीन टाइम कम करें।
स्वास्थ्यकर भोजन करें
स्वास्थ्यकर आहार आवश्यक है ताकि शरीर को ज्यादा से ज्यादा कार्यशीलता के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व मिल सकें। फ़ास्ट फ़ूड और कैंडीज से बचें तथा इनके बदले सब्जियों और फलों का सेवन ज्यादा करें। मछली, अंडे, दूध उत्पाद, नारंगी, काले, गाजर आदि से भोजन में एंटीऑक्सीडेंट्स मिलता है और आपकी आखों की सेहत दुरुस्त रहती है।
आंखों की नियमित जांच कराएं
नेत्र विशेषज्ञ से नियमित परामर्श करने से न केवल बड़ी बीमारियों से निपटने में, बल्कि आखों की रोजाना एक्टिविटीज़ को प्रभावित करने वाले सूखापन और लालिमा जैसी छोटी-छोटी समस्याओं को ठीक करने में भी मदद मिलती है। इससे आपको अपनी आंखों की प्रॉबल्म पता चलती रहेगी और आप अपनी आंखों की सेहत को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकेंगे।
20-20-20 का नियम
हम सारा दिन स्क्रीन्स पर देखते रहते हैं। इस साधारण व्यायाम से आप थोड़ी देर रुक कर अपनी आखों के तनाव को कम कर सकते हैं। 20 मिनट तक लगातार स्क्रीन देखने के बाद रुकें और लगभग 20 फीट की दूरी पर किसी वस्तु 20 सेकंड के लिए देखें। यह बिलकुल आसान है!