14 जून को निकलेगा स्ट्रॉबेरी मून, जानिए गुलाबी चांद की क्या है खासियत
महाराष्ट, गुजरात और दक्षिण भारत में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट सावित्री की पूजा होती है।
साल भर में कम से कम 12 पूर्णिमा होती है यानी हर महीने में एक पूर्णिमा आती है। इस दिन चांद की खूबसूरती देखने लायक होती है। चंद्रमा अपनी पूरी गोलाई में होता है जिसके कारण इसे फुल मून भी कहते हैं। इन्हीं में से एक है स्ट्रॉबेरी मून। जी हां वसंत ऋतु के पहले और गर्मी की शुरुआत में निकलने वाले पहले चांद को स्ट्रॉबेरी मून कहा जाता है। स्ट्रॉबेरी मून सामान्य से बड़ा और सुनहरे रंग का होता है।
साल 2022 में स्ट्रॉबेरी मून
निकलेगा जो दिखने में बड़ा और बेहद चमकीला होगा। विशेषज्ञों के अनुसार 14 जून की शाम को 5 बजकर 22 मिनट पर चांद अपने चरम पर होगा।
कैसे पड़ा नाम स्ट्रॉबेरी मून
कहा जाता है कि उत्तरी अमेरिका के एल्गोनक्विन आदिवासियों ने इस पूर्णिमा को निकलने वाले चांद का नाम स्ट्रॉबेरी मून रखा था। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय वहां स्ट्रॉबेरी फल की कटाई की जाती है।
जब धरती के करीब होगा चांद
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्ट्रॉबेरी मून बड़ा इसलिए दिखाई देता है क्योंकि इस दिन यह पृथ्वी के बेहद करीब आ जाता है। दुनिया के अलग अलग हिस्सों में स्ट्रॉबेरी मून को अलग अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे हॉट मून कहते हैं तो कहीं मीड मून। यूरोप में इसे रोज़ मून कहते हैं क्योंकि वहां इसे गुलाब की कटाई का प्रतीक माना जाता है। भूमध्य रेखा के उत्तर में इस दिन से गर्मी की शुरुआत होती है जिसकी वजह से इसे हॉट मून कहा जाता है।
भारत में हैं वट पूर्णिमा
जैसा हमने आपको बताया कि दुनिया के कई हिस्सों में स्ट्रॉबेरी मून का अलग नाम और महत्व है। अगर हम भारत की बात करें तो इस दिन की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा होती है। यह पूजा साल में दो बार की जाती है। कुछ जगहों पर पहली बार यह पूजा ज्येष्ठ मास की अमावस्या को होती है, तो कहीं पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भी वट सावित्री की पूजा और व्रत किया जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। महाराष्ट, गुजरात और दक्षिण भारत में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट सावित्री की पूजा होती है।